28 बिलियन के कर्ज 'वेव ऑफ' करने की तैयारी में अमेरिकी बैंक

Edited By Yaspal,Updated: 17 Jul, 2020 06:52 PM

us bank preparing to wave off 28 billion debt

कोरोना वायरस के कारण अमेरिका के तीन बड़े बैंकों को 28 बिलियन डॉलर (करीब 2 लाख 10 हजार करोड़ रुपए) के कर्ज डूबने का अंदेशा है। इस तिमाही में सिर्फ जेपी मोर्गन के खाताधारकों ने 10.5 बिलियन डॉलर, वेल्स फार्गो को 9.57 बिलियन डॉलर और सिटी ग्रुप के...

न्यूयार्कः कोरोना वायरस के कारण अमेरिका के तीन बड़े बैंकों को 28 बिलियन डॉलर (करीब 2 लाख 10 हजार करोड़ रुपए) के कर्ज डूबने का अंदेशा है। इस तिमाही में सिर्फ जेपी मोर्गन के खाताधारकों ने 10.5 बिलियन डॉलर, वेल्स फार्गो को 9.57 बिलियन डॉलर और सिटी ग्रुप के खाताधारकों ने 7.9 बिलियन डॉलर के कर्ज का डिफॉल्ट किया है। जेपी मोर्गन और सिटी ग्रुप के मुनाफे में इस वित्त वर्ष की तिमाही के नतीजों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है जबकि वेल्स फार्गो को भी 2008 के बाद पहली बार नुकसान झेलना पड़ा है। इन तीनों बड़े बैंकों ने संभावित नुकसान की भरपाई के लिए 28 बिलियन डॉलर की रकम रिजर्व रख ली है और बैंक अब इतनी रकम के लोन ‘वेव ऑफ’ करने की तैयारी कर रहे हैं।

भविष्य अस्थिर, आगे भयंकर मंदीः जेपी मोर्गन
जेपी मोर्गन बैंक के मुख्यकार्यकारी जैमी डायमंड ने कहा कि फिलहाल स्थितियां सामन्य लग रही हैं क्योंकि लोगों की आय बढ़ी है, लोगों ने बचत बढ़ाई है, घरों की कीमतों में तेजी है लेकिन ये तस्वीर का एक पहलू है और मंदी का असल असर अभी सामने आना बाकी है और यदि आर्थिक स्थिति और ज्यादा खराब हुई तो बैंकों को और ज्यादा नुकसान होगा क्योंकि खाताधारक ज्यादा डिफॉल्ट करेंगे। हमें नहीं पता कि ये कहां रूकेगा क्योंकि ये सामान्य रिसेशन नहीं है। कर्ज के डिफॉल्ट के कारण जेपी मोर्गन के आय पिछले साल के मुकाबले आधी रह गई है और इस साल ये 4.4 बिलियन डालर दर्ज की गई है जबकि सिटी ग्रुप ने इस साल 1.3 बिलियन डॉलर की आय दर्ज की है और यह पिछले साल के मुकाबले 73 प्रतिशत कम है। हालांकि अमेरिका के शेयर बाजारों में तेजी होने के कारण बैंकों को थोड़ा सहारा मिला है। 

सरकारी पैकेज के कारण सुहावना लग रहा आर्थिक माहौल
सरकार द्वारा जारी किए गए राहत पैकेज के कारण वित्त बाजारों और असल आर्थिक स्थिति के बीच एक बड़ी खाई पैदा हो गई है। फिक्स इनकम ट्रेडिंग बूम के कारण बाजार मार्च की अपने न्यूनतम स्तर से काफी हद तक उबर गए हैं और निवेशकों द्वारा दिखाई गई रूचि के कारण बैंकों को थोड़ा सहरा मिला है। राहत पैकेज के चलते फिलहाल आर्थिक माहौल सुहावना लग रहा है लेकिन जैसी आर्थिक पैकेज का असर खत्म होगा तो इकॉनमी की असल तस्वीर सामने आएगी और ये तस्वीर ज्यादा अच्छी नहीं है क्योंकि सिर्फ अमेरिका में ही जून की बेरोज़गारी की दर 11.1 फीसदी तक पहुंच गई थी और इस तिमाही में जीडीपी में भी 5 फीसदी तक कि गिरावट देखी गई है। 

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