Edited By Yaspal,Updated: 02 Dec, 2020 11:35 PM
चीन की सरकार ने जून में गलवान घाटी में हुई घटना की योजना बनाई थी। यह जानकारी एक अमेरिकी कांग्रेस कमीशन ने दी है। उसने कहा कि बीजिंग ने करीब आधी सदी में चीन-भारत की सीमा पर पहले घातक संघर्ष के लिए ‘‘उकसाया''''। अमेरिका-चीन आर्थिक एवं सुरक्षा समीक्षा...
वॉशिंगटनः चीन की सरकार ने जून में गलवान घाटी में हुई घटना की योजना बनाई थी। यह जानकारी एक अमेरिकी कांग्रेस कमीशन ने दी है। उसने कहा कि बीजिंग ने करीब आधी सदी में चीन-भारत की सीमा पर पहले घातक संघर्ष के लिए ‘‘उकसाया''। अमेरिका-चीन आर्थिक एवं सुरक्षा समीक्षा आयोग ने कांग्रेस को दी अपनी हालिया नवीनतम रिपोर्ट में कहा कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने शांति के समय में अपने सशस्त्र बलों का दमनकारी उपयोग किया और ताईवान तथा दक्षिण चीन सागर के पास बड़े पैमाने पर धमकी वाले अभ्यास किए।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इस वर्ष इसने चीन-भारत सीमा पर करीब आधी सदी में पहले घातक संघर्ष के लिए उकसाया। चीन की बढ़ती आक्रामकता पर नजर है।'' एक दिसंबर को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और भारतीय सेना के बीच जून में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास गलवान घाटी में आमने-सामने लड़ाई हुई। इस संघर्ष से पहले मई की शुरुआत में एलएसी के कई सेक्टर में कई गतिरोध हुए जिसमें कम से कम 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए और कई चीनी सैनिक भी मारे गए। 1975 के बाद दोनों देशों के बीच हुए किसी संघर्ष में पहली बार सैनिक मारे गए।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कुछ साक्ष्यों से पता चलता है कि चीन की सरकार ने घटना की योजना बनाई थी, इसमें सैनिकों के शहीद होने की संभावना भी शामिल थी।'' उदाहरणस्वरूप संघर्ष से कई हफ्ते पहले चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगे ने एक बयान दिया जिसमें बीजिंग को ‘‘स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए लड़ाई'' के वास्ते प्रोत्साहित किया गया। चीन के सरकारी टैबलायड ‘ग्लोबल टाइम्स' में प्रकाशित एक संपादकीय में चेतावनी दी गई कि भारत अगर ‘‘अमेरिकी-चीन प्रतिद्वंद्विता में शामिल होता है'' तो उसके वाणिज्य एवं आर्थिक संबंधों को ‘‘करारा नुकसान'' पहुंचेगा।''