Edited By ,Updated: 29 Mar, 2017 03:27 PM
अमरीका की एक अदालत ने एच-1बी वीजा के सफल आवेदकों को चुनने के लिए प्रयोग की जाने वाली लॉटरी व्यवस्था को चुनौती देने वाले मुकदमे को खारिज कर ...
वॉशिंगटन: अमरीका की एक अदालत ने एच-1बी वीजा के सफल आवेदकों को चुनने के लिए प्रयोग की जाने वाली लॉटरी व्यवस्था को चुनौती देने वाले मुकदमे को खारिज कर दिया है। एच-1बी वीजा भारतीय आईटी कर्मियों और पेशेवरों में सबसे अधिक लोकप्रिय हैं।
आेरेगन में एक संघीय न्यायाधीश द्वारा सुनाए गए फैसले का अर्थ यह है कि तीन अप्रैल से शुरू हो रहे वित्तीय वर्ष 2018 में एच-1बी वीजा जारी करने के क्रम में कोई बदलाव नहीं होगा। एेसे में,अमरीकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं(यूएससीआईएस)द्वारा एक लॉटरी व्यवस्था के जरिए सफल एच-1बी वीजा आवेदकों पर फैसला किए जाने की उम्मीद है।
अमरीकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा(यूएससीआईएस)को कांग्रेस की आेर से मंजूर सीमा से कहीं अधिक एच-1बी वीजा आवेदन मिलते हैं। इसमें आम श्रेणी में 65 हजार की सीमा है जबकि अमरीकी शैक्षणिक संस्थान से मास्टर्स या उच्च डिग्री लेने वाले विदेशी छात्रों के लिए 20 हजार की सीमा है। लॉटरी व्यवस्था के खिलाफ मुकदमा पोर्टलैंड की दो कंपनियों ने दर्ज कराया था। एक कंपनी वेब डेवलपमेंट कंपनी टेनरेक इंक है और दूसरी वास्तुकला कंपनी वॉकर मैकी है।पिछले सप्ताह अपने 31 पन्नों के आदेश में अमरीकी जिला अदालत के जज माइकल सिमोन ने यूएससीआईएस की इस दलील को उचित ठहराया कि एच-1बी वीजा आवेदन को तब तक दायर नहीं माना जाता, जब तक लॉटरी से उसपर फैसला नहीं हो जाता ।