अमेरिका ने चीन को दिए ‘तोहफे' में उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों बारे उठाए सवाल

Edited By Tanuja,Updated: 12 Jun, 2019 01:38 PM

us gift to china questions enforcement of north korea sanctions

अमेरिका के कार्यवाहक विदेश मंत्री पैट्रिक शानहन और चीन के विदेश मंत्री वी फेंगे के बीच बैठक शुरू होने से पहले अमेरिकी मंत्री ने अपने चीनी समकक्ष को एक विशेष ‘तोहफा'' देकर ...

वाशिंगटनः अमेरिका के कार्यवाहक विदेश मंत्री पैट्रिक शानहन और चीन के विदेश मंत्री वी फेंगे के बीच बैठक शुरू होने से पहले अमेरिकी मंत्री ने अपने चीनी समकक्ष को एक विशेष ‘तोहफा' देकर उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंधों के क्रियान्वयन पर सवाल उठाए। दोनों नेताओं ने मंगलवार को वार्ता शुरू होने से पहले अपने राष्ट्रों के ध्वज के सामने हाथ मिलाते हुये फोटो खिंचाई जो वार्ता शुरू होने से पहले एक नियमित प्रक्रिया है, लेकिन सम्मेलन कक्ष में जो हुआ, वह नियमित रूप से नहीं होता।

शानहन ने चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगे को एक विशेष ‘उपहार' भेंट किया। पहली नजर में कॉफी टेबल बुक की तरह दिखने वाले इस तोहफे के जरिए अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों के क्रियान्वयन पर सवाल उठाए हैं। 32 पृष्ठीय इस पुस्तक में ऐसी तस्वीरें और उपग्रह चित्र थे जिनमें उत्तर कोरियाई पोत तेल का लेन-देन करते दिख रहे हैं। कई तस्वीरों के साथ तारीखों, समय, स्थानों और अन्य विवरण दिया गया था। अधिकारियों के अनुसार यह इस बात का सबूत है कि उत्तर कोरिया चीन के तट के पास आर्थिक प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रहा है।

सिंगापुर में एक राष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन में वेई और उनके शीर्ष अधिकारियों के साथ मुलाकात के एक दिन बाद, शानहन ने कहा, ‘‘मैंने उन्हें यह सुंदर पुस्तक दी।'' पेंटागन के कार्यवाहक प्रमुख ने कहा, ‘‘मैंने कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां आप और मैं सहयोग कर सकते हैं।'' उल्लेखनीय है कि व्यापार, अमेरिकी प्रौद्योगिकी की चोरी, ताइवान को अमेरिकी हथियारों की संभावित बिक्री और उत्तर कोरिया पर अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को छोड़ने का दबाव बनाने समेत कई मुद्दों को लेकर ट्रम्प प्रशासन और चीन के साथ टकराव बना हुआ है।

एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने अपनी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर कहा कि शानहन से बैठक शुरू होने से पहले वेई को पुस्तक देते हुए कहा कि उनके पास उनके लिए एक तोहफा है। वेई तोहफा मिलने पर शुरू में हैरान रह गए लेकिन जब उन्हें समझ आया कि यह वास्तव में क्या है तो उन्होंने इसे अपने साथियों को थमा दिया। वॉशिंगटन स्थित ‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज' में चीन ऊर्जा परियोजना की निदेशक बोनी ग्लेसर ने कहा, ‘‘यह उन्हें (चीन को) यह बताने का तरीका है कि हमें पता है कि क्या चल रहा है। हमारे पास सबूत हैं और आपके पास अमेरिका के साथ सहयोग बढ़ाने का अवसर है।''
 

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