Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Feb, 2018 10:40 AM
अमरीका और ब्रिटेन के नए प्रस्ताव के बाद अपनी नापाक हरकतों, दोहरे चेहरे व आतंकवाद के मुद्दे पर घिरे पाकिस्तान का बचना अब मुश्किल लगता है।
इस्लामाबादः अमरीका और ब्रिटेन के नए प्रस्ताव के बाद अपनी नापाक हरकतों, दोहरे चेहरे व आतंकवाद के मुद्दे पर घिरे पाकिस्तान का बचना अब मुश्किल लगता है। दरअसल अमरीका और ब्रिटेन ने टैरेर फंडिग के लिए पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) में निगरानी सूची में डालने का प्रस्ताव पेश किया है। यही नहीं, फ्रांस और जर्मनी इसके समर्थन में उतर आए हैं।
निगरानी सूची में आने के बाद पाकिस्तान के लिए दूसरे देशों से कर्ज लेने या व्यापार करने में मुश्किल आएगी। ध्यान देने की बात है कि एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित आतंकी संगठनों व व्यक्तियों के वित्तीय लेन-देन पर रोक नहीं लगाने का दोषी बताया था। पाकिस्तान में डर साफ देखा जा सकता है। हाफिज सईद और उसके संगठनों को आतंकी सूची में डालने के पाकिस्तान के फैसले को इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है। इस बार पाकिस्तान के लिए एफएटीएफ से बचना इसलिए मुमकिन नहीं क्योंकि पाक के खिलाफ आतंकी फंडिंग को लेकर पुख्ता सबूत हैं।
दरअसल पिछले साल स्पेन में 18 से 23 जून के बीच हुई एफएटीएफ की प्लेनरी बैठक में पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को मिल रही फंडिंग पर रिपोर्ट पेश की गई थी। जिसमें पाक को आतंकी फंडिंग का दोषी ठहराया गया था। इसके बाद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का मामला इंटरनैशनल को-आपरेशन रिव्यू ग्रुप (आइसीआरजी) को सौंप दिया। बाद में आइसीआरजी ने एशिया पैसिफिक ग्रुप (एजीपी) को एक महीने के भीतर तक पाकिस्तान द्वारा आतंकी फंडिंग रोकने के लिए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट देने को कहा था।
एजीपी के रिपोर्ट नहीं देने की स्थिति में आइसीआरजी ने पाकिस्तान को सीधे उसे रिपोर्ट देने को कहा कि उसने आतंकी फंडिंग रोकने के लिए क्या उपाय किया है। लेकिन पाकिस्तान ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। आतंकी फंडिंग पर पाकिस्तान के रवैये को देखते हुए अमरीका और ब्रिटेन ने उसे निगरानी सूची में डालने का प्रस्ताव पेश कर दिया है।
इस पर 18 से 23 फरवरी के बीच फ्रांस में होने वाली एफएटीएफ की बैठक में विचार किया जाएगा। फ्रांस और जर्मनी के समर्थन में आने के बाद इस प्रस्ताव का पास होना सुनिश्चित माना जा रहा है। वैसे तो एफएटीएफ को किसी भी देश के साथ आर्थिक लेन-देन प्रतिबंधित करने का अधिकार नहीं है। लेकिन एक बार निगरानी सूची या प्रतिबंधित सूची में आने के बाद आर्थिक मुश्किलों से गुजर रहे पाकिस्तान के लिए दुनिया में कहीं भी कर्जा लेना कठिन हो जाएगा।