डाक्टरों की बड़ी सफलताः नाबालिग के धूम्रपान से छलनी दोनों फेफड़े बदले (Video)

Edited By Tanuja,Updated: 14 Nov, 2019 12:03 PM

us teenager receives double lung transplant after damage from vaping

अमेरिका में डाक्टरों ने पहली बार किसी युवक के दोनों फेफड़े बदलने का दावा किया है। मिशिगन राज्य के एक अस्पताल में डॉक्टरों...

न्यूयार्कः अमेरिका में डाक्टरों ने पहली बार किसी युवक के दोनों फेफड़े बदलने का दावा किया है। मिशिगन राज्य के एक अस्पताल में डॉक्टरों ने करीब 6 घंटे तक चली सर्जरी के बाद 17 वर्षीय युवा एथलीट के छलनी हो चुके दोनों फेफड़ों का सफल प्रत्यारोपण किया। युवक के दोनों फेफड़े वेपिंग (ई-सिगरेट या एक तरह का धूम्रपान) के चलते पूरी तरह खराब हो गए थे, जिससे प्रत्यारोपण करना अनिवार्य हो गया था। इसे चिकित्सा जगत में बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि वीडियो गेम खेलने के शौकीन युवक को बीते पांच सितंबर को हालत खराब होने पर पहले सेंट जॉन अस्पताल में भर्ती कराया गया।

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वहां उसकी हालत न्यूमोनिया के मरीज जैसी हो गई। हालांकि, यहां उसकी तकलीफ दिनोंदिन बढ़ती ही चली गई। उसे सांस लेने में काफी दिक्कत महसूस होने लगी। उसे 12 सितंबर को वेंटिलेटर पर भर्ती कराया गया। हालत नहीं सुधरी तो उसे फिर डेट्रायजट स्थित हेनरी फोर्ड अस्पताल ले जाया गया। करीब एक माह तक युवक को वेंटिलेटर पर रखा गया। यहां भी जब उसकी हालत और गंभीर हो गई तो डॉक्टरों की एक टीम ने 15 अक्तूबर को उसके दोनों फेफड़ों के प्रत्यारोपण करने का फैसला किया। जब युवक की हालत ठीक हो गई तब डॉक्टरों ने प्रत्यारोपण के बारे में अब खुलासा किया।

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हेनरी फोर्ड अस्पताल के अंग प्रत्यारोपण के शल्य चिकित्सा निदेशक हसन नेमाह ने बताया कि युवक के दोनों फेफड़ों की हालत बेहद खराब थी। अगर, उसका जल्द प्रत्यारोपण नहीं किया जाता तो उसकी मौत हो जाती। उन्होंने कहा, मैं 20 साल से फेफड़ों का प्रत्यारोपण कर रहा हूं, मगर जैसा इस युवक का फेफड़ा हो गया था, वैसा मैंने पहले कभी नहीं देखा। खराब हो चुके ऊतकों के अलावा मरीज के फेफड़ों में काफी सूजन और जख्म थे। ऐसी हालत प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उन सैनिकों की होती थी, जिन पर मस्टर्ड गैस (जहरीली गैस) से हमला किया जाता था। एथलीट के फेफडे़ में खराबी की वजह की डॉक्टरों ने पड़ताल की। उसके फेफड़ों से ई-एसीटेट जैसे रसायन मिले। इनका इस्तेमाल ई-सिगरेट या फिर सिगरेट के जरिये नशीले पदार्थों के इस्तेमाल में होता है।

 

रोग नियंत्रण एवं बचाव केंद्र ने कई तरह के धूम्रपान में विटामिन ई-एसीटेट के इस्तेमाल को जिम्मेदार पाया। डॉक्टरों के मुताबिक, वेपिंग के चलते जान गंवाने वाले या बीमार मरीजों के फेफड़ों से लिए तरल पदार्थ के नमूनों में उन्हें ऐसे ही जहरीले रसायन मिले। अस्पताल में युवक एक्ट्रा कॉरपोरियल मेंबरान ऑक्सीजेनेशन (ईसीएमओ) मशीन से ऑक्सीजन दी जाने लगी। इसका लाभ तो युवक को मिला, लेकिन उसके फेफड़े तेजी से सिकुड़ने लगे। इस पर फेफड़ों के शल्य चिकित्सकों ने फेफड़ों के प्रत्यारोपण में विशेषज्ञ हेनरी फोर्ड अस्पताल की टीम को बुलाया। टीम ईसीएमओ की पोर्टेबल मशीन के साथ उस किशोर को अपने निर्देशन में अपने अस्पताल ले जाने में सफल हो गई। उसे वेंटिलेटर के साथ उस ईसीएमओ मशीन पर रखा गया।

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