US: हैरिस-ट्रंप ने पैन्सिलवेनिया के अखाड़े में बिताया प्रचार का आखिरी दिन

Edited By Rahul Rana,Updated: 05 Nov, 2024 08:56 AM

us the toughest election in american history

नेशनल डेस्क। अमेरिका में महीनों से चल रही राष्ट्रपति पद की रेस का प्रचार 4 नवंबर की रात को थम गया। अब इंतजार है तो मंगलवार यानि कि आज सुबह 7 बजे से शुरु होने वाले मतदान का जो तय करेगा कि व्हाइट हाउस में अगले 4 साल के लिए कौन सा चेहरा होगा?

नेशनल डेस्क। अमेरिका में महीनों से चल रही राष्ट्रपति पद की रेस का प्रचार 4 नवंबर की रात को थम गया। अब इंतजार है तो मंगलवार यानि कि आज सुबह 7 बजे से शुरु होने वाले मतदान का जो तय करेगा कि व्हाइट हाउस में अगले 4 साल के लिए कौन सा चेहरा होगा? आखिरी दौर में दोनों ही उम्मीदवार जिस एक राज्य पर जोर लगाते नजर हुए आए वो है पैनस्लिवेनिया। 

प्रचार के आखिरी दिन कमला हैरिस और डॉनल्ड ट्रंप ने सूबे के पिट्सबर्ग में बड़ी रैलियों को संबोधित किया। कमला हैरिस ने तो प्रचार का आखिरी दिन लगभग पैन्सिलवेनिया में ही बिताया। बीते कई हफ्तों से अमेरिकी चुनाव के दोनों महारथी अपना सारा जोर सात सूबों के 93 इलेक्टोरल कॉलेज मतों को अपने लिए जुटाने पर लगा रहे थे। इसमें भी सबसे ज्यादा 19 इलेक्टोरल कॉलेज वोट का वजन पैनसिल्वेनिया के पास है। विस्कॉन्सन, मिशिगन, एरिजोना, नॉर्थ कौरोलाइना, जॉर्जिया और नेवादा के बीच बंटे शेष 74 मतों के लिए दोनों ही खेमे ताकत झोंकते नजर आए।

इस बीच अमेरिका में 7.91 करोड़ वोट पहले ही डाले जा चुके हैं। वहीं एरिजोना जैसे सूबे में तो मतदान की तारीख से पहले डाले गए मतों की छंटनी का काम भी शुरु हो गया। एरिजोना, पैन्सिलवेनिया, विस्कॉन्सन जैसे सूबे पारंपरिक तौर पर धीमी मतगणना वाले माने जाते रहे हैं।


मतदान खत्म होने के बाद सबसे पहले नजरें लगी होंगी जॉर्जिया और नॉर्थ कैरोलाइना के स्कोर बोर्ड पर, जहां से सबसे पहले नतीजों की उम्मीद की जा रही है। साथ ही पैन्सिलवेनिया के नतीजे भी इस कड़ी में जल्द ही आने की उम्मीद हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण भूगोल और घड़ी के वक्त में भी छुपा है। चुनावी अखाड़े में अहम माने जाने वाले अधिकतर सूबे अमेरिका के पूर्वी हिस्से में हैं। सो, यहां चुनाव भी पहले खत्म होगा और मतगणना भी जल्दी शुरु होगी। 

अमेरिकी चुनावी मतगणना का मौजूदा गणित सूबों में पार्टियों की परंपरिक ताकत से तय होता है। ऐसे में डेमोक्रैटिक पार्टी के मतबूत गढ़ वाले सूबे कमला हैरिस को इस रेस में 226 इलेक्टोरल कॉलेज पर पहुंचाते हैं। वहीं पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के पास 219 वोट हैं। ऐसे में व्हाइट हाउस में एंट्री के लिए कमला हैरिस को 44 मतों की जरूरत है। वहीं ट्रंप को दोबारा राष्ट्रपति बनने के लिए 51 वोट की जरूरत है।

डॉनल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच चुनावी मुकाबला कितना कड़ा है इसका अंदाजा नेशनल पोल के आंकड़ों से लगाया जा सकता है जो आखिरी दिन दोनों के बीच 1% का अंतर बताते हैं। पोल के आंकड़ों के मुताबिक ट्रंप 48% पर हैं तो कमला हैरिस 49% पर हैं। 

वहीं चुनाव के दौरान वोट जुटाने के लिए चल रही राजनीतिक रस्साकशी के बीच इस बात की आशंका जताई जा रही है कि यह चुनाव मतदान गणना केंद्रों से निकलकर अदालतों में जा सकता है। अमेरिका में चुनाव नतीजों को चुनौती देते हुए अदालती अपील का इतिहास रहा है। करीब दो दशक पहले अल गोर और जॉर्ज बुश जूनियर के बीच कांटे की टक्कर का नतीजा कई दिनों तक साफ नहीं हो पाया था और आखिर में फैसला अदालत से आया था।

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