दुनिया की सबसे महंगी दवा, एक खुराक 2.1 मिलियन डॉलर की

Edited By Anil dev,Updated: 27 May, 2019 11:25 AM

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अमरीका में दुनिया की अब तक की सबसे महंगी दवा का इस्तेमाल होने जा रहा है। इस दवा को स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रोफी बीमारी के जीन थेरेपी में इस्तेमाल किया जाएगा। मांसपेशियों का क्षरण होने वाली ये दुर्लभ बीमारी काफी जानलेवा होती है। इससे दुनियाभर में काफी...

वाशिंगटन: अमरीका में दुनिया की अब तक की सबसे महंगी दवा का इस्तेमाल होने जा रहा है। इस दवा को स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रोफी बीमारी के जीन थेरेपी में इस्तेमाल किया जाएगा। मांसपेशियों का क्षरण होने वाली ये दुर्लभ बीमारी काफी जानलेवा होती है। इससे दुनियाभर में काफी तादाद में बच्चे दो साल की उम्र से पहले ही मर जाते हैं। 

फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन ने दी हरी झंडी
अमरीका में फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन ने शुक्रवार को इस दवा के इस्तेमाल को हरी झंडी दे दी। इस दवा की महज एक खुराक की लागत 2.1 मिलियन डॉलर आएगी। इस इलाज को पैकेज के रूप में बाजार में लाया गया है, जिसका नाम ‘जोलगेंज्मा’ है। ये दवा आनुवांशिक कारणों से होने वाली स्पाइनल कॉर्ड एट्रोपी के खतरे को कम कर सकता है या इसे जड़ से खत्म कर सकता है। यह अपने तरीके की पहली जीन थेरेपी है, जो जानलेवा आनुवांशिक बीमारी का इलाज करने का वादा करती है। 

एक दशक के इलाज का खर्च तकरीबन 4 मिलियन
दवा निर्माता कंपनी नोवार्टिस के चीफ एग्जीक्यूटिव वास नरसिम्हन कहते हैं कि इस थेरेपी से स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रोफी के पूरी तरह उखाड़ फेंकने की संभावना है। हालांकि दुर्लभ बीमारियों के इलाज की कई दवाएं बाजार में आईं है, जिनकी कीमत सैकड़ों डॉलर है, लेकिन कुछ की कीमत एक मिलियन डॉलर से अधिक है। दवा के निर्माण की अनुमति मिलने से पहले इसको बनाने वाली नोवार्टिस की यूनिट एवेक्सिस के पे्रजिडेंट डेविड लेनन ने कहा था कि इसके उत्पादन लागत से आधी कीमत पर बाजार में उतारा जाएगा। हालांकि 2016 में इसी बीमारी के इलाज के लिए एक दवा ‘स्पिनरजा’ को भी अनुमति दी गई थी। उसकी कीमत पहले साल के इलाज के लिए 7,50,000 डॉलर और दूसरे साल से 3,70,000 डॉलर प्रतिवर्ष। यानी एक दशक के इलाज का खर्च तकरीबन 4 मिलियन आता था।

क्या है स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रोफी
इस बीमारी में स्पाइनल कॉर्ड में मौजूद उन तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जो इंसानी शरीर के अंगों को हरकत करने में मदद देते हैं। इसके प्रभावित होने से लोग चलने, बोलने, खाना निगलने और सांस लेने में अक्षम हो जाते हैं। दुनिया में पैदा होने वाले हर 11000 बच्चों में से एक स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रोफी से ग्रसित होता है। ‘स्पिनरजा’ को अनुमति मिलने से पहले इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था। अमरीका की फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन ने दो साल से कम उमे के बच्चों में स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रोफी के हर रूप के थेरेपी की इजाजत दे दी है।

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