Edited By Tanuja,Updated: 05 Dec, 2020 05:36 PM
चीन में उइगर मुसलमानों पर जुल्म की हदें पार होती जा रही हैं। पहले भी चीन के री-एजुकेशन कैंपों में होने वाली प्रताड़ना की रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं ...
बीजिंगः चीन में उइगर मुसलमानों पर जुल्म की हदें पार होती जा रही हैं। पहले भी चीन के री-एजुकेशन कैंपों में होने वाली प्रताड़ना की रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं लेकिन इस बार लोगों ने बेहद क्रूर अनुभव साझा किए । चीन शिक्षा के नाम पर मुसलमानों का धर्म भ्रष्ट करने पर उतारू हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार मुसलमानों के लिए शुक्रवार एक पवित्र दिन माना जाता है लेकिन चीन के 'री-एजुकेशन' कैंपों में रह रहे उइगर मुसलमानों को हर शुक्रवार को सूअर का मांस खाने के लिए मजबूर किया जाता है। मुसलमानों को सूअर का मांस खिलाने का मतलब है उनके धर्म को भ्रष्ट करने की कोशिश।
चीनी सरकार के इन अत्याचारों का शिकार रह चुकी सरागुल सौतबे इस बात की पुष्टि करते हुए एक इंटरव्यू में बताया कि हर शुक्रवार को हमें सूअर का मांस खाने के लिए मजबूर किया जाता था। उन्होंने जानबूझकर यह एक दिन चुना है जो मुसलमानों के लिए पवित्र है। यदि आप इसे ऐसा नहीं करते हैं, तो आपको कठोर दंड मिलता है। जानकारी के मुताबिक वह एक मेडिकल फिजिशियन और स्वीडन में रहने वाली एक शिक्षिका हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी एक किताब पब्लिश की है, जिसमें उन्होंने अपने अनुभवों के ब्यौरा दिया है। सौतबे बताती हैं कि मुझे लग रहा था जैसे मैं एक अलग व्यक्ति हूं। मेरे चारों ओर सिर्फ निराशा थी। यह स्वीकार करना वास्तव में मुश्किल था।
उइगर मुसलमानों के प्रति चीन के इस रवैये का शिकार हुई एक अन्य महिला ने भी अपना अनुभव साझा किया और सूअर खिलाने वाली बात की पुष्टि की है। उइगर की व्यवसायी ज़ुम्रेत दाऊद बताती हैं कि अधिकारियों ने उनके पाकिस्तान से लिंक पर सवाल उठाए जो कि उनके पति की मातृभूमि है। उन्होंने उससे पूछताछ की कि उनके कितने बच्चे हैं और उन्होंने धर्म का अध्ययन किया है या नहीं। ये पूछताछ दो महीने तक चली।
उन्होंने आगे बताया कि एक बार उन्हें वॉशरूम जाने की अनुमति लेने के लिए शिविर के पुरुष अधिकारियों से भीख मांगनी पड़ी। उसे हथकड़ी लगाते हुए जाने दिया गया और पुरुष अधिकारियों ने वॉशरूम में उसका पीछा किया। जब उनसे शिविरों में उइगर मुसलमानों को परोसे जा रहे पोर्क के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "जब आप एक एकाग्रता शिविर में बैठते हैं, तो आप यह तय नहीं करते हैं कि क्या खाना चाहिए, क्या नहीं खाना चाहिए। जीवित रहने के लिए, जो हमें परोसा जाएगा वही मांस हमें खाना होगा।" पहले भी इस तरह की कई रिपोर्ट आई हैं जिनमें ऐसा दावा किया गया है कि चीन अपने इस तरह के शिविरों में उइगर मुसलमानों को प्रताड़ित कर रहा है।