‘‘खोबरागड़े घटना थी भारत अमरीका के लिए सबसे कमजोर बिंदु’’

Edited By ,Updated: 16 Jan, 2017 04:52 PM

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अमरीका के निवर्तमान राष्ट्रपति आेबामा प्रशासन में एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि वर्ष 2013 में महिला राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी से भारत अमरीका...

वाशिंगटन:अमरीका के निवर्तमान राष्ट्रपति आेबामा प्रशासन में एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि वर्ष 2013 में महिला राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी से भारत अमरीका के बीच पैदा हुआ राजनयिक संकट ना केवल दोनों देशों के बीच संबंधों में ‘‘सबसे कमजोर बिंदू’’था बल्कि दोनों पक्षों के लिए यह घटना ‘‘बेहद अहम सीख भी रही।’’

दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने  से कहा,‘‘मेरे आने के बाद कुछ ही हफ्तों में इस राजनयिक संकट का खुलासा हुआ था, निश्चित रूप से यह दोनों देशों के लिए एक परीक्षा थी।मुझे लगता है कि यह ना केवल एक कमजोर बिंदू था बल्कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह दोनों देशों के लिए कुछ सीखने वाला लम्हा था।यह घटना दोनों पक्षों को बेहद अहम पाठ पढ़ाने वाली रही।’’एेसी ही कुछ सीख साझा करते हुए निशा देसाई बिस्वाल ने कहा कि पहली सीख यह थी कि रिश्तों में आगे बढ़ने के लिए शालीनता के नाम पर किसी को भी एेसा करने की मंजूरी नहीं दी जा सकती या फिर इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता,जो भारत-अमरीकी रिश्ते के लिए अहम है।उन्होंने कहा,‘‘बड़े और छोटे मुद्दों को समान रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।दूसरी बात यह कि आप किसी छोटे मुद्दे को यूं ही नहीं छोड़ सकते हैं।तीसरी बात यह कि आपको हर एक देश में इस तरह से संचालन करना होगा जिसमें निरंतरता हो और वह उस देश के वैधानिक एवं नियामक अधिनियमों के अनुरूप हों।’’

वर्ष 1999 बैच की आईएफएस अधिकारी देवयानी खोबरागड़े को अमरीका में 12 दिसंबर 2013 को वीजा धोखाधड़ी और अपने वीजा आवेदन में घरेलू सहायिका के बारे में कथित रूप से गलत जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।देवयानी न्यूयार्क में भारत की उप महावाणिज्य दूत थीं।बाद में उन्हें 250,000 डॉलर के मुचलके पर रिहा कर दिया गया था।पूर्ण राजनयिक छूट मिलने के बाद उन्होंने अमरीका छोड़ दिया था।इस घटना से अमरीका और भारत के बीच राजनयिक विवाद शुरू हो गया था।  

निशा ने इस बात का उल्लेख किया,‘‘पहली बात यह कि हमलोग यह सुनिश्चित करने की कोशिश करें कि हम इसका अनुपालन कर रहे हैं और दूसरी बात यह कि अगर कोई समस्या उत्पन्न होती है तो अपने समकक्षों को इसमें तुरंत शामिल करें और इसे सुलझाने के लिए काम करें क्योंकि जब एेसे मुद्दों से निपटने के लिए हम तत्परता से काम नहीं करते हैं तब आप संकट बढ़ने देते हैं तथा इसके परिमाण को अलग स्तर पर ले जाने के मौके देते हैं।’’निशा ने कहा कि हमेशा एेसे मुद्दे दो देशों के बीच पैदा होते रहेंगे।उन्होंने कहा,‘‘भारत असाधारण रूप से एक बेहद जटिल देश है।इसकी जटिलता सिर्फ इसकी विविधता के संदर्भ में नहीं बल्कि यह जटिलता केंद्र सरकार,राज्य सरकार और इसके विभिन्न वैधानिक विभागों का शासन करने वाले कानूनी संरचनाओं के संदर्भ में भी है।’’उन्होंने कहा कि अमरीका में भी एेसे ही बेहद जटिल समाज हैं।

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