श्रीलंका के आम चुनाव में जमकर हुआ मतदान, राजपक्षे की जीत की संभावना

Edited By Pardeep,Updated: 05 Aug, 2020 11:12 PM

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श्रीलंका में कोविड-19 के प्रकोप के बीच लोगों ने मास्क पहनकर और सावधानियां बरतते हुए बुधवार को संसदीय चुनाव में बड़ी संख्या में हिस्सा लिया और मतदान किया जिसमें राजपक्षे परिवार द्वारा संचालित श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) के जीतने

कोलंबोः श्रीलंका में कोविड-19 के प्रकोप के बीच लोगों ने मास्क पहनकर और सावधानियां बरतते हुए बुधवार को संसदीय चुनाव में बड़ी संख्या में हिस्सा लिया और मतदान किया जिसमें राजपक्षे परिवार द्वारा संचालित श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) के जीतने की संभावना है। इससे पहले ये चुनाव दो बार स्थगित हो चुके हैं। 
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राष्ट्रीय चुनाव आयोग के अध्यक्ष महिंदा देशप्रिय के अनुसार कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बीच हुए चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए जिसमें 70 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। स्थानीय समयानुसार शाम पांच बजे मतदान संपन्न हुआ और मतपेटियों को मतगणना केंद्रों को भेज दिया गया। मतदान वाली रात ही आठ बजे से मतपत्रों की गिनती शुरू होने की परंपरा से हटते हुए इस बार वोटों की गिनती बृहस्पतिवार को की जाएगी। देशप्रिय न कहा कि बृहस्पतिवार शाम को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे। 
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उन्होंने कहा, ‘‘हमें कोरोना वायरस के डर के बावजूद इतने बड़े स्तर पर मतदान के लिए मतदाताओं का आभार जताना होगा।'' चुनाव निगरानी समूहों ने बताया कि कुछ समूहों की अवैध गतिविधियों की शिकायतों को छोड़कर चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने कोलंबो के एक मतदान केंद्र पर वोट डाला, वहीं उनके भाई और प्रधानमंत्री पद के दावेदार महिंदा राजपक्षे ने दक्षिणी जिले हंबनटोटा में अपने गृह क्षेत्र में मतदान किया। 
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74 वर्षीय महिंदा राजपक्षे ने मतदान के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें दो-तिहाई बहुमत से जीत की उम्मीद है।'' उन्होंने कहा कि उनके छोटे भाई को पिछले साल दिसंबर में 69 लाख मतदाताओं ने समर्थन देकर राष्ट्रपति बनाया था और उन्हें इसी तरह का समर्थन इस बार मिलने की उम्मीद है।
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पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे, समागी जन बालावेग (एसजेबी) महासचिव रंजीत मदुमाबंडारा और पूर्व मंत्री जॉनस्टन फर्नान्डो सहित कई शीर्ष नेताओं ने सुबह-सुबह अपने मताधिकार का उपयोग किया। देश में चुनाव पर निगरानी रखने वाली इकाई ‘‘पीपल्स एक्शन फॉर ए फ्री एंड फेयर इलेक्शन'' (पीएएफएफआरईएल) ने चुनाव पर निगरानी रखने के लिए 5,000 पर्यवेक्षकों को तैनात किया है। महामारी की वजह से दो बार इस चुनाव को टालना पड़ा था। 

संसद के 225 सदस्यों के पांच साल तक के निर्वाचन के लिए चुनाव हो रहे हैं। करीब 1.6 करोड़ लोगों को 225 सांसदों में से 196 के निर्वाचन के लिए मतदान का अधिकार था। वहीं 29 अन्य सांसदों का चयन प्रत्येक पार्टी द्वारा हासिल किए गए मतों के अनुसार बनने वाली राष्ट्रीय सूची से होगा। पहले यह चुनाव 25 अप्रैल को होने वाले थे लेकिन कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर इसकी तारीख बढ़ाकर 20 जून की गई। इसके बाद स्वास्थ्य अधिकारियों के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए चुनाव की तारीख आगे बढ़ाकर पांच अगस्त कर दी गई। करीब 20 राजनीतिक दलों और 34 निर्दलीय समूह के 7,200 से ज्यादा उम्मीदवार 22 चुनावी जिलों से मैदान में थे। 

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