Edited By Tanuja,Updated: 27 Nov, 2018 02:37 PM
लाई डिटेक्टर टेस्ट लोगों से सच बुलवाने के लिए किया जाता है। इसमें मशीनों द्वारा पॉलिग्राफ और ब्रेन मैपिंग टेस्ट किया जाता है। लेकिन पुराने समय में भी लाई डिटेक्टर टेस्ट किया जाता था...
दुबईः लाई डिटेक्टर टेस्ट लोगों से सच बुलवाने के लिए किया जाता है। इसमें मशीनों द्वारा पॉलिग्राफ और ब्रेन मैपिंग टेस्ट किया जाता है। लेकिन पुराने समय में भी लाई डिटेक्टर टेस्ट किया जाता था, लेकिन वह तरीका ऐसा था कि अपराधी सुनते ही सच बोलने लगता था।
इजिप्ट (मिस्र) में सैकड़ों साल पहले से 'अयिदाह कबीला' सच उगलवाने के लिए एक एेसे तरीके का इस्तेमाल करता आ रहा है, जिसे देख कर रूह कांप जाएगी। हालांकि, बाकी जगहों पर ऐसे तरीकों को रोक दिया गया है। माना जाता है कि इस कबीले के लोग बिशाह परंपरा के तहत झूठ पकड़ते हैं। इसमें लोहे की रॉड को आग में तपाया जाता है।
इसके बाद उसे आरोपियों की जीभ पर लगाया जाता है। इनकी मान्यताओं के अनुसार, जो अपराधी होगा, उसकी जीभ पर फफोले पड़ जाएंगे। इस मामले पर जर्मनी के एक चैनल DW ने विस्तृत रिपोर्ट भी की है, जिसका वीडियो देखा जा सकता है।
अयिदाह कबीले के लोगों का मानना है कि झूठा या अपराधी बेचैन होने लगता है और उसकी जीभ सूखने लगती है। इस वजह से गर्म रॉड जीभ पर लगते ही फफोले पड़ जाते हैं।
वहीं, निर्दोष की जीभ पर लार रहती है और गर्म रॉड का असर नहीं रहता। अब यह तरीका कितना सही है या कितना गलत, यह कहना मुश्किल है। लेकिन इसके बारे में सुनकर बड़े से बड़े अपराधी की रूह जरूर कांप जाएगी।