चीन कर रहा एेेसा काम, अमरीका ख़ुश !

Edited By ,Updated: 20 Apr, 2017 12:11 PM

white house says encouraging to see chinese effort to control n korea

व्हाइट हाऊस ने कहा है कि उत्तर कोरिया को नियंत्रित करने के लिए बीजिंग अपने राजनीतिक एवं आर्थिक प्रभावों का उपयोग कर रहा है और इसका पूरा श्रेय अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन में उनके समकक्ष शी चिनफिंग के बीच ‘हाल में विकसित’ संबंधों को जाता...

वॉशिंगटन: व्हाइट हाऊस ने कहा है कि उत्तर कोरिया को नियंत्रित करने के लिए बीजिंग अपने राजनीतिक एवं आर्थिक प्रभावों का उपयोग कर रहा है और इसका पूरा श्रेय अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन में उनके समकक्ष शी चिनफिंग के बीच ‘हाल में विकसित’ संबंधों को जाता है। व्हाइट हाऊस के प्रैस सचिव सीन स्पाइसर ने बुधवार (19 अप्रैल) को यहां संवाददाताओं से कहा, ‘उत्तर कोरिया को नियंत्रित करने के प्रयास में चीन को आगे बढ़ते देखना और उसका हमारे साथ शामिल होना उत्साहजनक है।’  

उन्होंने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग ने बीच हाल में विकसित संबंधों ने निश्चित रूप से सकारात्मक संकेत दिए हैं। स्पाइसर ने कहा, ‘चीन, उत्तर कोरिया पर आर्थिक और राजनीतिक दोनों प्रभाव का इस्तेमाल कर रहा है।  उन्हें इस दिशा में बढ़ते देखना महत्वपूर्ण है. इस मामले में उन्हें बड़ी भूमिका निभाते हुये देखना सकारात्मक संकेत है।सभी के हित उत्तर कोरिया की गतिविधियों को नियंत्रित करने में हैं।’ 

प्रेस सचिव ने कहा कि हालांकि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि चीन किस सीमा तक कार्रवाई करता है। उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया के खतरे को नियंत्रित करने के लिए सभी का सम्मलित प्रयास न केवल अमरीकी सुरक्षा हितों में बल्कि इस इलाके के अन्य देशों को बचाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।ट्रंप प्रशासन इस बात की समीक्षा कर रहा है कि उत्तर कोरिया को आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले राष्ट्रों की सूची में क्या फिर से शामिल करना चाहिए ? 

विदेश मंत्री रेक्स टिलर्सन ने बुधवार (19 अप्रैल) को कहा कि अमेरिका उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के साथ फिर से वार्ता चाहता है लेकिन यह पहले हुईं बातचीत से अलग तरीके से होगी।टिलर्सन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हम उत्तर कोरिया पर सभी तरीकों की समीक्षा कर रहे हैं। इसमें आतंकवाद के राज्य प्रायोजन के साथ-साथ अन्य तरीके शामिल है, जिससे हम प्योंगयांग की सरकार पर हमारे साथ बातचीत करने के लिए दबाव डाल सकें लेकिन यह बातचीत पहले हुई वार्ताओं से अलग तरीके से होगी।

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