कोरोना को लेकर भारत समेत 116 देशों के कटघरे में WHO, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आज से

Edited By Tanuja,Updated: 18 May, 2020 12:58 PM

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चीन-अमेरिका तनाव के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का सम्मेलन पहली बार ऑनलाइन शुरू होने जा रहा है। चीन-अमेरिका के बीच तनाव...

जिनेवाः कोरोना वायरस पर अपनी संदिग्ध कार्यप्रणाली की वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भारत समेत 116 देशों के निशाने पर है। ये सभी 116 देश ये चाहते हैं कि वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में कोरोना वायरस को लेकर WHO की प्रतिक्रिया और सक्रियता की स्वतंत्र, निष्पक्ष और विस्तृत जांच की मांग उठाई जाए । 73वीं वर्ल्ड हेल्थ असेंबली आज यानि 18 मई से स्विट्जरलैंड के जेनेवा में शुरू हो रही है। दुनिया भर के 116 देशों में यूरोप के 27 देश, ब्राजील, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, तुर्की, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया के साथ 54 देशों का अफ्रीकी समूह भी शामिल हो गया है। इस सूची में भारत, रूस, इंडोनेशिया, जापान, ब्रिटेन और कनाडा भी हैं। कोरोना को लेकर चीन-अमेरिका तनाव के बीच WHO का सम्मेलन पहली बार ऑनलाइन शुरू होने जा रहा है।

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यह सम्मेलन WHO की 1948 में हुई स्थापना के बाद से सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का सम्मेलन अमूमन तीन सप्ताह का होता है लेकिन इस बार सिर्फ दो दिन सोमवार और मंगलवार को आयोजित किया जा रहा है। ऐसी संभावना है कि इस बार सम्मेलन में मुद्दा सिर्फ कोविड-19 पर ही केंद्रित रहे। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से दुनिया भर में तीन लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और दुनिया भर में 47 लाख लोग संक्रमित हैं। बता दें कि कोरोना वायरस को रोकने को लेकर WHO की भूमिका पर अमेरिका समेत कई देशों ने सवाल उठाए थे। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया और यूरोपियन देशों के कहने पर दुनिया भर के 116 देश WHO के खिलाफ खड़े हो चुके हैं। इन सभी देशों ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है जिसमें यह लिखा गया है कि कोविड-19 को संभालने के लिए WHO ने सही से काम नहीं किया जिसकी वजह से पूरी दुनिया में ये वायरस फैल गया।

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माना जा रहा है कि आंकड़ों को छिपाने और कोरोना की सही जानकारी न देने में WHO ने चीन का साथ दिया है, इसलिए भी यह जांच जरूरी है। अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि इस 116 देशों में अमेरिका शामिल है या नहीं। यूरोपियन यूनियन और ऑस्ट्रेलिया की ओर से बनाए गए ड्राफ्ट में किसी देश का नाम नहीं है। इसी वजह से बहुत से देशों ने इस ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर कर दिया। ड्राफ्ट में लिखा गया है कि चीन द्वारा फैलाई गई महामारी की जांच में पारदर्शिता न रखने के लिए सख्त कार्रवाई होनी चाहिए जबकि यहां WHO की जिम्मेदारी थी कि वो सक्रियता दिखाता। साथ ही WHO पर यह भी आरोप है कि उसने इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशंस 2005 के नियमों के तहत महामारी को रोकने के लिए पर्याप्त मैकेनिज्म तैयार नहीं किए और न ही उस पर अमल किया।

 

WHO के खिलाफ बनाए गए ड्राफ्ट में प्रमुख मांगें

  • कोरोना वायरस महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुभवों और सीखों की स्वतंत्र, निष्पक्ष और विस्तृत जांच हो।
  • WHO के स्तर पर मौजूद मैकेनिज्म ने कितना काम किया।
  • इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशंस कितने लागू हुए और उनकी क्या स्थिति है।
  • संयुक्त राष्ट्र के स्तर पर किए जा रहे कार्यों में WHO का कितना योगदान है।
  • कोविड-19 को लेकिर WHO की कार्यों और टाइमलाइन की जांच होनी चाहिए।
     

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पिछले साल 2019 दिसंबर में चीन से यह महामारी उभरी थी और इसके प्रसार को रोकने में चीन की भूमिका पर ट्रंप ने कई सवाल खड़े किए थे और बिना सत्यापित प्रमाण के यहां तक कह दिया था कि यह वायरस चीन की प्रयोगशाला से बाहर आया है। हालांकि इस तनाव के बाद भी देशों को उम्मीद है कि वह इस पर सर्वसम्मति तक पहुंचेंगे। इस संबंध में यूरोपीय संघ ने एक प्रस्ताव पेश किया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इससे निपटने के लिए उठाए गए कदमों की ‘निष्पक्ष, स्वतंत्र और वृहत मूल्यांकन’ की मांग की है। यूरोपीय संघ के एक सूत्र ने इस मसौदा प्रस्ताव को ‘महत्वाकांक्षी’ करार दिया है और इशारा किया है कि अगर उम्मीद के मुताबिक इस पर सहमति बनती है तो ऐसा पहली बार होगा जब एक वैश्विक मंच पर कोविड-19 से निपटने के तरीकों के मसौदे पर सर्वसम्मति वाला समर्थन प्राप्त हो।

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सूत्रों के मुताबिक देशों ने बेहद विवादास्पद सवालों को भी नहीं छोड़ा है और WHO में भी सुधार की मांग की है क्योंकि देशों का मानना है कि ‘इतने बड़े स्तर वाले संकट को रोक पाने में इसके पास प्रयाप्त क्षमता नहीं है।’  वहीं ताइवान को कई वर्षों तक इस सम्मेलन में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होने का निमंत्रण मिलता रहा लेकिन 2016 में इसे बंद कर दिया गया क्योंकि ताइवान के राष्ट्रपति तसाई इंग-वेन ने ताइवान को ‘एक चीन’ का हिस्सा मानने की अवधारणा को मान्यता देने से इनकार कर दिया। बेलीज, ग्वाटेमाला समेत 15 देशों ने WHO प्रमुख को इस एजेंडे में ताइवान की भागीदारी के सवाल को शामिल करने के लिए पत्र लिखा है। हालांकि ऐसा करने वालों में अमेरिका शामिल नहीं है।

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