Edited By Tanuja,Updated: 04 Mar, 2020 04:19 PM
पाकिस्तान में 8 मार्च को महिला दिवस के मौके पर ''औरत मार्च'' निकालने के ऐलान पर बवाल मच गया है। मार्च को आयोजित करने वाली ...
इस्लामाबादः पाकिस्तान में 8 मार्च को महिला दिवस के मौके पर 'औरत मार्च' निकालने के ऐलान पर बवाल मच गया है। मार्च को आयोजित करने वाली कमेटी द्वारा की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मानवाधिकार आयोग की अध्यक्ष जस्टिस माजिदा रिजवी ने यह कह कर इसका विरोध करने वालों को कड़ा जवाब दिया है कि 'अपने अधिकारों के लिए लड़ना सबका अधिकार है.' उन्होंने यह भी कहा कि 'जिसके भी अधिकार रौंदे जाते हैं या उन्हें नहीं दिए जाते या इसमें रुकावटें पैदा की जाती हैं तो फिर लोग आगे बढ़ते हैं और अपने अधिकारों के लिए लड़ते हैं.' इस मार्च के तहत महिलाएं अपने अधिकारों के तहत कई मांगें कर रही हैं।
इनमें हिंसा से आजादी, आर्थिक न्याय, मीडिया का महिलाओं को कमजोर दिखाना बंद किया जाए, जच्चा को सेहत का अधिकार, अल्पसंख्यकों के अधिकारों की हिफाजत, नागरिक अधिकार, सियासत में महिलाओं की हिस्सेदारी जैसी मांगें शामिल हैं. वहीं इस मामले पर लाहौर हाईकोर्ट ने कहा है कि कानून के मुताबिक किसी को रोका नहीं जा सकता। सरकार को 'औरत मार्च' को पूरी सुरक्षा देनी चाहिए। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि 'औरत मार्च' में ऐसे नारों से बचा जाए जिससे किसी को ठेस पहुंचे।
गौरतलब है कि पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) के को-चेयरपर्सन आसिफ अली जरदारी की ओर से भी इस मार्च की हिमायत की गई है। क्या है 'औरत मार्च' पाकिस्तान में हर साल 08 मार्च को महिलाओं के गैर सरकारी संगठन 'औरत मार्च' के नाम से अलग-अलग शहरों में मार्च निकालते हैं। इसमें महिलाएं अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाती रही हैं। जहां इस मार्च की हिमायत की जाती रही है, वहीं समाज का एक तबका इसकी मुखालफत भी करता रहा है।