रिसर्चः गणित छात्रों की बैठने के अंदाज से बदलती है सवाल हल करने की क्षमता

Edited By Tanuja,Updated: 06 Aug, 2018 12:43 PM

work capacity fixed by body in change positioning

गणित के छात्रों के लिए एक एेसी खबर आई है जिसके बारे में जानकर वे चौंक जाएंगे।  सैन फ्रांसिस्को यूनिवर्सिटी में हाल में हुए एक शोध में सामने आया है कि अगर गणित का कोई मुश्किल सवाल हल नहीं हो रहा हो, तो जरा शरीर की पोजिशन बदलकर देखिए...

सिडनीः गणित के छात्रों के लिए एक एेसी खबर आई है जिसके बारे में जानकर वे चौंक जाएंगे।  सैन फ्रांसिस्को यूनिवर्सिटी में हाल में हुए एक शोध में सामने आया है कि अगर गणित का कोई मुश्किल सवाल हल नहीं हो रहा हो, तो जरा शरीर की पोजिशन बदलकर देखिए। ऐसा करने से सवाल के हल होने की संभावना 50% तक बढ़ जाएगी। सैन फ्रांसिस्को यूनिवर्सिटी ने पढ़ाई और शरीर के पॉश्चर के बीच संबंध का पता लगाने के लिए करीब एक हजार छात्रों पर रिसर्च की।

इन सभी छात्रों को गणित के कुछ सवाल हल करने के लिए दिए गए। देखा गया कि सवाल हल करते-करते कुछ ही देर में छात्रों के शरीर का पॉश्चर बदलने लगता है। कुछ अपनी पीठ बिल्कुल सीधी करके बैठने लगे तो कुछ कुर्सी के बिल्कुल आगे खिसककर बैठ गए। कई छात्र तो खड़े ही हो गए। कुछ ऐसे भी थे जो मेज पर झुककर सवाल हल कर रहे थे। टेस्ट खत्म होने के बाद 56% छात्रों ने माना कि खड़े होकर सवाल हल करने में उन्हें आसानी महसूस हुई। इसका कारण है- एक्टिव और पैसिव ब्रेन यानी सक्रिय और कम सक्रिय दिमाग।  शरीर के पॉश्चर का दिमाग की रफ्तार पर सीधा असर पड़ता है। लेटकर या आरामतलब होकर पढ़ाई करने से दिमाग की सक्रियता कम होती है।

शरीर की मुद्रा सुधारने पर ये सुधरती है। दफ्तरों में भी अगर खड़े होकर काम किया जाए तो नतीजे में 40% तक का सुधार होता है। इसी वजह से यूरोपीय देशों में स्टैंडिंग ऑफिस का कल्चर बढ़ रहा है। शोध टीम में शामिल प्रोफेसर एरिक पेपर बताते हैं कि अगर बच्चे लंबी देर तक बैठकर पढ़ रहे हैं, तो उन्हें हर 30 मिनट में कुछ देर के लिए खड़े होकर भी पढ़ना चाहिए। ऐसा करने से बेहतर नतीजा आने की संभावना तो बढ़ती है।

किसी विषय के स्टीरियोटाइप थ्रेट से जूझ रहे बच्चों के लिए ये नतीजा खासा कारगर है। स्टीरियोटाइप थ्रेट यानी किसी चीज का दिल में डर या झिझक बैठ जाना। यानी जो छात्र किसी खास विषय का नाम सुनकर ही घबरा जाते हैं, उनको खड़े होकर पढ़ने की कोशिश करें।  शोधकर्ताओं ने कहा कि- फोकस और क्रिएटिविटी को बढ़ाने के लिए ही संगीतकार धुन तैयार करने का काम अक्सर खड़े होकर ही करते हैं। भीड़ को संबोधित करते समय खड़े रहने का कॉन्सेप्ट भी यहीं से निकला है, ताकि इंसान बोलते समय घबराए नहीं। 

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