ताइवान को लेकर दो खेमों में बंटी दुनिया, G7 देश चीन के खिलाफ लेकिन रूस दे रहा साथ

Edited By Tanuja,Updated: 04 Aug, 2022 03:07 PM

world divided into two camps on taiwan g7 countries against china

यूक्रेन-रूस जंग के बाद अब पूरी दुनिया की नजर ताइवान विवाद पर टिकी है। यही नहीं ताइवान मुद्दे पर दुनिया दो खेमों में बंट गई है। इस विवाद...

इंटरनेशनल डेस्कः यूक्रेन-रूस जंग के बाद अब पूरी दुनिया की नजर ताइवान विवाद पर टिकी है। यही नहीं ताइवान मुद्दे पर दुनिया दो खेमों में बंट गई है। इस विवाद को लेकर अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टकराव में  कई और देश शामिल हो गए हैं। एक तरफ रूस ने बुधवार को बयान जारी कर अमेरिका पर आरोप लगाया कि उसने नैन्सी पेलोसी को ताइवान भेजकर विवाद को हवा दी है और उकसाने वाला काम किया है।

 

वहीं दूसरी तरफ कनाडा भी इस मसले में कूद पड़ा है और उसने चीन को इस तनाव के लिए जिम्मेदार ठहराया है। कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि चीन जो कर रहा है, उसे लेकर हम बेहद चिंतित हैं। उसकी ओर से सेना की बड़े पैमाने पर तैनाती करना गैर-जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस मामले में चीन की हरकतों को भी किसी भी तरह से सही नहीं कहा जा सकता। जर्मन विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक से मुलाकात के दौरान भी उन्होंने यही बात कही। जोली और जर्मन विदेश मंत्री ने चीन से तनाव को कम करने की अपील की।

 

बता दें कि नैन्सी पेलोसी ताइवान के एक दिवसीय दौरे पर पहुंची थीं और उसे लेकर चीन लाल हो गया है। 25 साल के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब अमेरिका कोई नेता ताइवान पहुंचा है। द्वीपीय देश ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता रहा है और कई बार सेना के जोर पर उस पर कब्जा जमाने की भी धमकियां दे चुका है। इस बीच जी-7 देशों के विदेश मंत्रियों की ओर से भी इस मामले में बयान जारी किया गया है। ग्रुप-7 देशों का कहना है, 'ताइवान की खाड़ी में जिस तरह से आक्रामक सैन्य गतिविधि चल रही है, उसे सही नहीं कहा जा सकता। हमारे सांसदों का दुनिया के किसी भी इलााके में दौरा करना सामान्य है और रूटीन प्रक्रिया है।

 

लेकिन चीन के रवैये ने तनाव पैदा कर दिया है और क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की गई है।' जी-7 देशों की ओर से जो बयान जारी किया गया है, उसमें अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के अलावा कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, इटली, जापान और यूके के विदेश मंत्रियों ने साइन किए हैं। इसके अलावा यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधि की ओर से भी इस पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस तरह से अमेरिका को ताइवान के मसले पर जी-7 देशों का समर्थन मिला है। वहीं पाकिस्तान और रूस ने चीन का समर्थन किया है।

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