Edited By Tanuja,Updated: 23 Apr, 2018 04:44 PM
ति स्थापना के लिए आगे बढ़ रहे उत्तर और दक्षिण कोरिया के लिए यह सप्ताह स्पैशल है। इसकी वजह है इन कोरियाई देशों के बीच आयोजित होने वाला ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन जिसकी दोनों देशों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। 27 अप्रैल को होने वाले इस शिखर सम्मेलन के...
सियोलः शांति स्थापना के लिए आगे बढ़ रहे उत्तर और दक्षिण कोरिया के लिए यह सप्ताह स्पैशल है। इसकी वजह है इन कोरियाई देशों के बीच आयोजित होने वाला ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन जिसकी दोनों देशों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। 27 अप्रैल को होने वाले इस शिखर सम्मेलन के दौरान उत्तरी कोरियाई नेता किम जोंग उन दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे से मिलेंगे। पूरी दुनिया की नजर दोनों नेताओं की इस मुलाकात पर है कि दोनों देश परमाणु हथियारों को लेकर कैसे डील करेंगे।
इसी दिन दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष कोरियाई युद्ध के बाद तीसरी बार आमने-सामने होंगे। इस अहम बैठक में किम जोंग उन और मून जे के बीच शांति बहाली से लेकर इस पूरे इलाके को गैर परमाणु हथियार मुक्त बनाने पर वार्ता होगी। यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि इस बार यह बैठक कितनी सफल हो पाती है। यह मुलाकात परमाणु मोर्चे पर मई या जून में किम और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच नियोजित शिखर सम्मेलन के लिए एक लंबे समय तक नजर डालने और मार्ग को सुगम बनाने के लिए हो सकती है। आशावादी उम्मीद करते हैं कि दो शिखर सम्मेलन का परिणाम भव्य परमाणु सौदा भी हो सकता है।
शनिवार को उत्तर कोरिया की परमाणु और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों को निलंबित करने और अपनी परमाणु परीक्षण स्थल को बंद करने के घोषणा ने अमरीका और सियोल में परमाणु वार्ताओं में सफलता की उम्मीद जताई है। परमाणु समझौते तक पहुंचने में विफलता सियोल और वाशिंगटन के किम के हालिया आउटरीच की ईमानदारी के बारे में गंभीर प्रश्न उठाएगी और पिछले साल कोरियाई प्रायद्वीप में फैले युद्ध के डर को फिर से जगाएगी। हालांकि उत्तरी कोरिया ने प्रायद्वीप के परमाणुकरण के बारे में संयुक्त राज्य अमरीका के साथ बातचीत करने की इच्छा व्यक्त की है, लेकिन इस बारे में काफी संदेह है कि किम अपनी जिद्द छोड़ेगा या नहीं।