WTO ने अमेरिका के चीनी वस्तुओं पर लगाए शुल्क को बताया नियमों के खिलाफ

Edited By Pardeep,Updated: 15 Sep, 2020 11:19 PM

wto tells duty against chinese goods against us rules

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने मंगलवार को कहा कि ट्रंप प्रशासन का 200 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की चीनी वस्तुओं पर शुल्क लगाया जाना डब्ल्यूटीओ नियमों के तहत अवैध है। यह पहला मौका है जब जिनेवा स्थित व्यापार निकाय ने

जिनेवाः विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने मंगलवार को कहा कि ट्रंप प्रशासन का 200 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की चीनी वस्तुओं पर शुल्क लगाया जाना डब्ल्यूटीओ नियमों के तहत अवैध है। यह पहला मौका है जब जिनेवा स्थित व्यापार निकाय ने विभिन्न चरणों में लगाये गये शुल्क के खिलाफ फैसला सुनाया है। 
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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने अपने सहयोगियों, प्रतिद्धंदियों सहित कई देशों पर शुल्क लगाए हैं। ट्रंप कई बार अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़े विवादों के निपटान और नियम बनाने वाले संस्थान डब्ल्यूटीओ की आलोचना कर चुके हैं। उनका कहना है कि विश्व व्यापार संगठन अमेरिका के साथ अनुचित व्यवहार करता है। डब्ल्यूटीओ ने ट्रंप प्रशासन की इस दलील के खिलाफ फैसला सुनाया कि चीन बौद्धिक संपदा की चोरी, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और नवप्रवर्तन समेत अन्य मामलों में अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाने की गतिविधियों में शामिल है। 
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अगर प्रक्रिया समाप्त होती है, उसके बाद सैद्धांतिक रूप से इस व्यवस्था के आधार पर चीन को बदले के रूप में अमेरिकी सामानों पर शुल्क लगाने की अनमति होगी। लेकिन फिर अमेरिकी सरकार डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान निकाय के फैसले के खिलाफ अपील कर सकती है। डब्ल्यूटीओ की अपीलीय अदालत फिलहाल काम नहीं कर रही। इसका प्रमुख कारण अमेरिका इसके नये सदस्यों की नियुक्ति को स्वीकृति नहीं दे रहा। अमेरिका ने दो बार में चीनी वस्तुओं पर शुल्क लगाया। वर्ष 2018 के सितंबर महीने में 200 अरब डॉलर मूल्य के सामान पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाया गया। इसे आठ महीने बाद बढ़ाकर 25 प्रतिशत तक कर दिया गया। 
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इसके अलावा जून 2018 में सालाना कारोबार वाले करीब 34 अरब डॉलर मूल्य के चीनी सामान के आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया गया था। अमेरिका ने चीन पर बौद्धिक संपदा, प्रौद्योगिकी और वाणिज्यिक गोपनीयता की चोरी करने का आरोप लगाते हुए ये शुल्क लगाये। डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान समिति ने कहा कि अमेरिका का कदम लंबे समय से जारी अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का उल्लंघन है क्योंकि इसे केवल चीनी वस्तुओं पर लागू किया गया है। अमेरिका ने अपने इस दावे को लेकर ठोस दलील नहीं दी कि कथित अनुचित व्यापार गतिविधियों के कारण चीनी सामानों को लाभ हो रहा था जिसकी वजह से शुल्क लगाये गये। 

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