अंजाने में तेजी से कोरोना बांट रहे युवा ! WHO ने बताया कारण

Edited By Tanuja,Updated: 19 Aug, 2020 12:08 PM

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कोरोना वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की नई चेतावनी सामने आई है। WHO ने कहा है कि युवा आबादी ...

न्यूयार्कः कोरोना वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की नई चेतावनी सामने आई है। WHO ने कहा है कि युवा आबादी अनजाने में कोरोना संक्रमण को फैला रही है। युवाओं में लक्षण कम और देरी से दिखना भी इसका बड़ा कारण है। WHO ने कहा कि विश्व में कोरोना वायरस का प्रसार 20, 30 और 40 वर्ष की आयु के लोगों द्वारा तेजी से किया जा रहा है। वे इस बात से अनजान हैं कि वे संक्रमित हैं, क्योंकि उनके कोई लक्षण नहीं हैं। पश्चिमी प्रशांत के WHO के क्षेत्रीय निदेशक ताकेशी कसाई ने मंगलवार को कहा, इस आयु सीमा के कई लोग असिम्प्टोमैटिक हैं या कोविड-19 के हल्के लक्षण हैं, वे अनजाने में दूसरों को वायरस देते हैं।

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इससे स्लिपओवर का खतरा सबसे अधिक कमजोर, बुजुर्गों, बीमार लोगों, जो लोग घनी आबादी वाले शहरी और ग्रामीण इलाकों में बढ़ जाता है। 24 फरवरी से 12 जुलाई के बीच WHOको विस्तृत जानकारी के साथ 60 लाख मामलों के विश्लेषण से संक्रमित बच्चों और युवाओं के अनुपात में वृद्धि देखी गई। WHO का कहना है कि विश्व अभी कहीं भी कोरोना वायरस के खिलाफ सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होने जैसी स्थिति में नहीं है। सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्यूनिटी) विशेष तौर पर टीकाकरण के माध्यम से हासिल की जाती है और अधिकतर वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कम से कम 70 प्रतिशत आबादी में घातक विषाणु को शिकस्त देने वाली एंटीबॉडीज होनी चाहिए।

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लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आधी आबादी में भी कोरोना वायरस से लड़ने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता हो तो एक रक्षात्मक प्रभाव उत्पन्न हो सकता है। डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन मामलों के प्रमुख डॉक्टर माइकल रेयान ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में इस सिद्धांत को खारिज करते हुए कहा, ''हमें सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने की उम्मीद में नहीं रहना चाहिए।

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वैश्विक आबादी के रूप में, अभी हम उस स्थिति के कहीं आसपास भी नहीं हैं जो वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है। यह कोई समाधान नहीं है और न ही यह ऐसा कोई समाधान है जिसकी तरफ हमें देखना चाहिए। आज तक हुए अधिकतर अध्ययनों में यही बात सामने आई है कि केवल 10 से 20 प्रतिशत आबादी में ही संबंधित एंटीबॉडीज हैं।''

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