महाशिवरात्रि पर 100 साल बाद पड़ रहा है दुर्लभ संयोग, उठाएं लाभ

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Feb, 2018 11:49 AM

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लगभग 100 वर्षों बाद महाशिवरात्रि का पर्व एक दुर्लभ संयोग के तहत मंगलवार को आ रही है। कहा जाता है कि यदि शिवरात्रि का पर्व रविवार, सोमवार और मंगलवार को पड़े तो यह योग दुर्लभ होता है। यही कारण है कि इस बार शिवरात्रि शिवयोग अर्थात

जालन्धर (धवन): लगभग 100 वर्षों बाद महाशिवरात्रि का पर्व एक दुर्लभ संयोग के तहत मंगलवार को आ रही है। कहा जाता है कि यदि शिवरात्रि का पर्व रविवार, सोमवार और मंगलवार को पड़े तो यह योग दुर्लभ होता है। यही कारण है कि इस बार शिवरात्रि शिवयोग अर्थात मंगलवार को आ रही है। उत्तर भारत में 13 फरवरी को शिवरात्रि मनाई जाएगी जबकि 14 फरवरी को मध्य भारत और दक्षिण भारत में शिवरात्रि मनाई जाएगी। 


ज्योतिषाचार्य पं. वेद प्रकाश जबाली ने बताया कि पूर्वी भारत 80 रेखांश से पूर्व में 14 को, पश्चिम भारत और उत्तर भारत में महाशिवरात्रि पर्व 13 को मनाया जाएगा। यह पर्व शिवा व्यापिनी फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व रात्रि 22 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर अगली रात 12.47 मिनट पर रहेगा। पूरे पूर्वी भारत में 2 दिन चतुदर्शी निशिथ व्यापिनी है। शास्त्रों के अनुसार यह पर्व 13 को मनाया जाएगा। 


महाशिवरात्रि पर क्या करें?
इस दिन को महापर्व की संज्ञा दे सकते हैं। मंगलवार को पडऩे की वजह से इस दिन जो लोग कर्ज में हैं, परेशानी झेल रहे हैं या गंभीर बीमारी से ग्रस्त है वे इस दिन मंगलवार का व्रत रख भगवान शंकर की आराधना करके सभी कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं। सोम प्रदोष का व्रत कर्ज मुक्ति के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। 


कैसे करें शिव अभिषेक
अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए शिव का अभिषेक अलग-अलग प्रकार से किया जाता है। सभी तीर्थों के जल से लोहे के शिवलिंग पर अभिषेक करने से शत्रुओं का दमन होता है। केसर और कस्तूरी से पारे के शिवलिंग का अभिषेक करने से शक्ति, शौर्य और वीरता प्राप्त होती है। पंचामृत से सोने के शिवलिंग पर अभिषेक करने से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। गन्ने के रस से स्फटिक शिवलिंग पर अभिषेक करने से तथा पत्थर के शिवलिंग पर दूध व गंगा जल से अभिषेक करने पर शांति, वैराग्य की प्राप्ति के साथ-साथ दुख दूर होते हैं। विद्या प्राप्ति व विवाह बाधा दूर करने के लिए, वर पक्ष के लिए अश्वगंधा के रस से, सम्पूर्ण ग्रह बाधा को दूर करने के लिए गंगा, यमुना व सरस्वती के जल से तथा राजयोग की प्राप्ति के लिए फूलों के रस व इत्र से अभिषेक करना चाहिए।

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