Edited By rajesh kumar,Updated: 12 Nov, 2019 07:15 PM
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 और अनुच्छेद-35ए को निरस्त करने और उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केन्द्र सरकार के फैसले के 100 दिनों के बाद भी घाटी में जनजीवन प्रभावित रहा...
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 और अनुच्छेद-35ए को निरस्त करने और उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केन्द्र सरकार के फैसले के 100 दिनों के बाद भी घाटी में जनजीवन प्रभावित रहा। बता दें कि केन्द्र ने पांच अगस्त को यह फैसला लिया था।
पुलिस ने कहा कि घाटी के किसी भी हिस्से में कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लागू नहीं हैं। धारा 144 के तहत घाटी में एहतियात के तौर पर चार अथवा उससे अधिक लोगों के एक स्थान पर एकत्र होने पर पाबंदी है। एहतियात के तौर पर पांच अगस्त से ही ऐतिहासिक जामिया मस्जिद की ओर जाने वाली सभी सड़कों को बंद कर दिया गया है। यह इलाका हुरिर्यत कॉन्फ्रेंस (एचसी) के नरमपंथी धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज मौलवी उमर फारूक का गढ़ माना जाता है।
जामिया माकेर्ट और उसके आस-पास के इलाकों में केन्द्रीय सशस्त्र अर्द्धसैनिक बलों (सीएपीएफ) के जवानों की तैनाती की गई है। इसके अलावा राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर और ऐतिहासिक लाल चौक के इलाकों में मंगलवार सुबह कुछ दुकानें और प्रतिष्ठान खुले लेकिन वे केवल सुबह सात से नौ बजे तक के लिए ही खुल रहे हैं। श्रीनगर के मुख्य इलाकों में कोई भी अप्रिय घटना नहीं घटी है और कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों की चप्पे-चप्पे पर तैनाती की गई है।
भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) समेत सभी कंपनियों की प्री-पेड मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं पिछले 100 दिनों से स्थगित हैं। संवेदनशील इलाकों में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। गंदेरबल जिले में घेराबंदी एवं तलाश अभियान के दौरान मंगलवार को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए।