भारत के साथ पाकिस्तान के 4 युद्ध: हर बार पाक ने मुंह की खाई है

Edited By ,Updated: 22 Sep, 2016 04:29 PM

4 wars between indo pak

पाकिस्तान की जम्मू कश्मीर पर निगाह आज से नहीं है बल्कि बटवारे के बाद से ही है।

जम्मू: पाकिस्तान की जम्मू कश्मीर पर निगाह आज से नहीं है बल्कि बटवारे के बाद से ही है। अपनी नापाक  हरकतों का सबूत वो दशकों से देता आ रहा है। उसने भारत के साथ चार युद्ध लड़े हैं आज तक उसमें उसे मुंह की ही खानी पड़ी है। आजादी के फौरन बाद कश्मीर में कबाइली हमला हो, वर्ष 1962 का युद्ध हो या फिर 1965 का या फिर कारगिल का, भरतीय सेना हमेशा पाकिस्तान को परास्त करती आई है। लेकिन उसकी बदनियती है कि वो कश्मीर में आग भडक़ाने से बाज नहीं आता है।


 पहली लड़ाई
1947-1948: इसे भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर पहला युद्ध कहा जाता है। उस समय जम्मू कश्मीर में महाराजा हरि सिंह का शासन था। इसी दौरान जम्मू कश्मीर का भारत में विलय हुआ था। 22 अप्रैल 1948 को यूएन ने प्रस्ताव 47 पारित किया और एलओसी का निर्माण हो गया। उसके बाद 1 जनवरी 1949 को दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम हुआ और भारत को जम्मू कश्मीर का दो तिहाई इलाका (जम्मू, कश्मीर और लद्दाख ) मिला जबकि पाकिस्तान के पास पीओके और गिलगिट बाल्टिस्तान आया।


दूसरी लड़ाई
1965 का युद्ध: इस बार पाकिस्तान को हार ही नहीं बल्कि भारतीय सेना के जवानों ने पाक को नाकों चने भी चब्बाए। पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। भारतीय सेना की 18 कैवलेरी के शरमन टैंकों ने पाकिस्तान की सीमा के अन्दर घुसकर उसे उसकी औकात बताई।
पाकिस्तान को आज भी इस बात की गलतफहमी है कि वो जम्मू कश्मीर को हथियाने का अगर प्रयास करता है तो उसे राज्य की जनता का पूरा साथ मिलेगा। इसके तहत उसने आपरेशन जिब्राल्टर भी शुरू किया पर वर्ष 1965 के युद्ध में लोगों ने पाकिस्तान का नहीं बल्कि भारत का साथ दिया।


5 अगस्त 1965: पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को जम्मू कश्मीर में पैराशूट के माध्यम से उतारा। भारतीय सेना चुप कैसे बैठती। 15 अगस्त को भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर उसकी पहाडिय़ों पर कब्जा कर लिया। उसके सैनिकों के हौसेले पस्त होने लगे और पाकिस्तान को मुज्जफराबाद को खोने का डर सताने लगा। भारतीय सेना ने कश्मीर में आठ किलोमीटर तक अन्दर घुसकर हाजी पीर दर्रा पर कब्जा कर लिया था।
दोनों देशों के बीच 17 दिनों तक युद्ध चला। दोनों तरफ हजारों लोग मारे गए। इसे दूसरे विश्व युद्ध की सबसे बड़ी टैंक लड़ाई के नाम से भी जाना जाता है।


तीसरी लड़ाई
1971 का युद्ध: बगंलादेश लिब्रेशन युद्ध के दौरान भारत पाक की यह तीसरी सैन्य लड़ाई थी।
3 दिसम्बर 1971: पाकिस्तान ने भारत के 11 एयरबेस पर हवाई हमले किए। इसे विश्व इतिहास में सबसे छोटे युद्ध के रूप में भी जाना जाता है। क्योंकि यह महज 13 दिन तक चला था।
टेके थे पाक ने घुटने: पूर्वी और पश्चिमी फ्रंट पर दोनों देशों की सैन्य लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी सेना ने भारत के सामने 16 दिसम्बर 1971 को ढाका में आत्मसम्र्पण कर दिया। भारतीय सेना ने ढींगे हांकने वाले पाक की सेना के 90 हजार से लेकर 93 हजार तक पाकिस्तानियों को बन्दी भी बनाया था।


चौथी लड़ाई
1999 का कारगिल युद्ध: पाकिस्तानी सेना ने कारगिल को कब्जे में ले लिया। घुसपैंठियों को निकालने के लिए आपरेशन विजय चलाया गया। दो महीने के विवाद के बाद भारतीय सेना ने घुसपैंठियों से कारगिल को वापिस हासिल किया। पाकिस्तान पर इस दौरान अंतराष्ट्रीय दवाब भी रहा। खुद को सही साबित करने के लिए पाकिस्तान ने अपने कई अधिकारियों के शवों को लेने से इन्कार कर दिया था।
उनेगा में कश्मीर राग अलापने वाले नवाज शरीफ ने बाद में कहा था कि कारगिल विवाद के दौरान उनके चार हजार सैनिका मारे गए।


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