7वें वेतन आयोग के लागू होने से राज्य सरकार पर पड़ेगा 4200 करोड़ का बोझ

Edited By kirti,Updated: 26 Apr, 2018 10:29 AM

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7वें वेतन आयोग को लागू करने के संबंध में राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके अनुसार यहे सिफारिशें जनवरी 2016 से लागू होंगी, किन्तु नए दरों से वेतन का भुगतान इस वर्ष अप्रैल से किया जाएगा और बकाया राशि कर्मचारियों के जी.पी. फंड खाते में जमा...

जम्मू : 7वें वेतन आयोग को लागू करने के संबंध में राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके अनुसार यहे सिफारिशें जनवरी 2016 से लागू होंगी, किन्तु नए दरों से वेतन का भुगतान इस वर्ष अप्रैल से किया जाएगा और बकाया राशि कर्मचारियों के जी.पी. फंड खाते में जमा कर दी जाएगी। इस पग से राज्य की आर्थिक स्थिति पर भारी बोझ पड़ेगा और कर्मचारियों के वेतन और पैंशनभोगियों की पैंशन में वृद्धि के कारण 4200 करोड़ रुपए का वाॢषक खर्चा बढ़ेगा।

इस संबंध में रोचक बात यह है कि राज्य की आंतरिक साधनों से आय 20 हजार करोड़ रुपए से भी कम है, जबकि कर्मचारियों के वार्षिक व्यय 30 हजार करोड़ के लगभग हो जाएंगे, जिससे स्पष्ट होता है कि व्यय केंद्रीय सहायता और ऋण पर ही निर्भर करेगा। इसके अतिरिक्त राज्य की देनदारियों में भारी वृद्धि होगी, जो पहले ही 60 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो चुकी है और वेतन आयोग लागू होने से इसमें कम से कम 7500 करोड़ रुपए की एकदम वृद्धि हो जाएगी। राज्य में नियमित पदों की संख्या 5 लाख से भी अधिक है और एस.पी.ओ., दिहाड़ीदारों और पब्लिक सैक्टर संस्थाओं के कर्मचारियों को मिलाकर यह संख्या 6 लाख से भी अधिक हो चुकी है, किन्तु कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के कारण सरकारी नौकरियों प्राप्त करने वाले इच्छुकों की संख्या में स्वाभाविक रूप से भारी दबाव पड़ेगा। यद्यपि कर्मचारियों का वर्तमान अनुपात देश के अन्य राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है।

गुजरात में 6 करोड़ जनसंख्या के लिए सरकारी कर्मचारियों की कुल संख्या 5 लाख के लगभग है। विशेषज्ञों का कहना है कि कर्मचारियों की संख्या का अनुपात जितना अधिक होगा, उतना ही भ्रष्टाचार बढ़ेगा। कार्यालयों में सप्ताह भर 20 से 25 घंटे से ज्यादा काम नहीं होता :वेतन में वृद्धि के कारण क्या जम्मू-कश्मीर में सरकारी कार्यालयों से कामकाज में सुधार आ पाएगा, यह एक बड़ा प्रश्न है, क्योंकि राज्य में कार्यालयों में कर्मचारियों के लिए प्रतिदिन कामकाज के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित है और सप्ताह में 40 घंटे काम होना चाहिए, किन्तु वास्तविकता यह है कि सप्ताह में कामकाज 20 और 25 घंटे से अधिक नहीं होता और फिर ऊपर से हड़तालों का दबाव स्थिति को और बिगाड़ देता है। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से कर्मचारियों के वेतन में कम से कम 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, किन्तु यह प्रश्न अब भी बना हुआ है कि क्या कार्यालयों में कामकाज के तौर-तरीकों में सुधार हो पाएगा? 
 

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