गिरफ्तार आतंकवादी डार ने दिसंबर 2019 में भी जैश आतंकवादियों को घाटी पहुंचाया था : अधिकारी

Edited By rajesh kumar,Updated: 02 Feb, 2020 07:13 PM

arrested terrorist dar had also taken jaish terrorists to valley

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पिछले साल फरवरी में आत्मघाती हमला कर 40 सीआरपीएफ जवानों को शहीद करने वाले आदिल डार के रिश्ते के भाई समीर डार ने पूछताछ में खुलासा किया है कि दिसंबर 2019 में भी उसने प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को घाटी...

जम्मू/श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पिछले साल फरवरी में आत्मघाती हमला कर 40 सीआरपीएफ जवानों को शहीद करने वाले आदिल डार के रिश्ते के भाई समीर डार ने पूछताछ में खुलासा किया है कि दिसंबर 2019 में भी उसने प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को घाटी में पहुंचाया था। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। समीर को पुलिस ने शुक्रवार को उस समय पकड़ा जब जैश के आतंकवादियों द्वारा सुरक्षा बलों पर गोलीबारी की घटना को अंजाम दिए जाने के बाद वह नगरोटा से भाग रहा था। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले स्थित काकपोरा इलाके के रहने वाले समीर ने स्वीकार किया है कि वह पिछले साल सफलतापूर्वक जैश के आतंकवादियों को घाटी के पुलवामा तक पहुंचाया था।

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समीर ने दावा किया कि पुलवामा छोड़ने के बाद आतंकवादियों के ठिकानों की उसे जानकारी नहीं है। हालांकि, पूछताछ के दौरान उसने माना कि आतंकवादियों के पास सामान्य बख्तरबंद गाड़ियों को भेदने में सक्षम ‘स्टील के कारतूस' सहित भारी मात्रा में गोलाबारूद थे। समीर के खुलासे से पाकिस्तान से लगती अंतराष्ट्रीय सीमा की रक्षा कर रहे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) सहित सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है जो अब तक अंतरविभागीय बैठकों में घुसपैठ से इनकार करते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले साल 14 फरवरी को समीर के रिश्ते के भाई आदिल ने विस्फोटकों से लदी कार में सीआरपीएफ के बस के नजदीक धमाका कर दिया था जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। अधिकारियों ने बताया कि समीर ने पूछताछ करने वाले अधिकारियों को बताया कि सीमा पर घुसपैठ जारी है और आतंकवादी दक्षिण कश्मीर के विभिन्न इलाकों खासतौर पर पुलवामा के त्राल इलाके में सक्रिय हैं।

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उन्होंने बताया कि समीर के मुताबिक आतंकवादियों को दक्षिण कश्मीर के करीमाबाद इलाके में छोड़ा गया। अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार आतंकवादी ने जैश आतंकवादियों के पास मौजूद हथियारों के बारे में भी जानकारी दी है जिससे संकेत मिलता है कि संगठन के पास एम-4 कार्बाइन और स्टील के कारतूस हैं। उन्होंने बताया कि स्टील के कारतूस स्थिर बुलेट प्रूफ बंकर को भी भेद सकते हैं जिनका इस्तेमाल आतंकवाद निरोधक कार्रवाई के दौरान होता है। उल्लेखनीय है कि आतंकवादियों द्वारा स्टील के कारतूस के इस्तेमाल का पहला मामला 2017 में नये साल की पूर्व संध्या पर दक्षिण कश्मीर के लेथोपोरा में जैश द्वारा सीआरपीएफ शिविर पर किए गए हमले में आया था। अधिकारियों ने बताया कि इस हमले के दौरान सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हुए थे जिनमें से एक जवान सेना द्वारा उपलब्ध कराए गए स्थिर बुलेट प्रूफ बंकर में था।

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उन्होंने बताया कि बाद में गहन जांच के बाद पता चला कि आतंकवादियों द्वारा असॉल्ट राइफल से स्टील की गोली चलाई गई थी। अधिकारियों के मुताबिक सीमा पार चीनी तकनीक की मदद से सख्त स्टील के कारतूस बनाए गए थे। उन्होंने बताया कि आतंकवादियों के पास मौजूद एम-4 कार्बाइन का इस्तेमाल अफगानिस्तान में अमेरिकी नीत गठबंधन सेना करती है और घाटी में इन हथियारों को इस्तेमाल करने के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने संभवत: उन्हें (आतंकवादियों को)प्रशिक्षित किया है।

 

 

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