Edited By ,Updated: 02 Sep, 2015 01:06 PM
मंहगाई की मार झेल रही आम जनता कि साथ-साथ किसानों को भी सब्जियों के दाम बढऩे से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
जम्मू कश्मीर : मंहगाई की मार झेल रही आम जनता कि साथ-साथ किसानों को भी सब्जियों के दाम बढऩे से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते बाजार से सब्जी खरीदना आम आदमी के साथ-साथ किसानों की भी पहुंच से दूर हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग आमतौर पर मेहनत-मजदूरी करके अपना तथा अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। जो रोजाना 200-250 रूपये कमाते हैं और उनके लिए रोजाना बाजार से इतनी मंहगी सब्जी खरीदकर खाना नामुमकिन होता जा रहा है।
जिस कारण लोगों में सरकार के प्रति रोष व्याप्त है। गौरतलब है कि पिछले एक महीने में सब्जियों के दाम दुगने हो गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पहले प्याज 35 से 40 रूपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता था मगर अब इसकी कीमत 65 रूपये प्रति किलो है। इसके अलावा टमाटर 40 रूपये, अदरक 100 रूपये, मटर 100 रूपये , फुलगोभी 60 रूपये , टमाटर 40 रूपये, शलगम 50 रूपये, मूली 40 रूपये किलो के भाव से बिक रही है। इसके अलावा आलू, करेला, टीन्डे ,पालक, खीरा आदि के दाम भी आसमान छू रहे है जिसे देखकर ऐसा लगता है कि मानों सब्जियां रसोई घर से दूर होती नजर आ रही हैं। मिश्रीवाला बाजार में खरीदारी करने के लिए आई नीशु रैणा, बिंदु, सुनीता, सुषमा शर्मा आदि का कहना है कि सरकार को खाद्य पदार्थो के दामों पर अंकुश लगाने के लिए कमेटी का गठन करना चाहिए , पहले ही मंहगाई ने आम आदमी का जीना मुहाल कर रखा है मगर अब सब्जियां खरीदना भी आम आदमी के बस में नही रहा है जिसके कारण रोसाई का बजट भी बिगड़ गया है। उन्होनें कहा कि सरकार को मुनाफाखोरों के खिलाफ सख्त कारवाई करनी चाहिए ताकि आम आदमी को इसे राहत मिल सके।
सब्जियों के दाम बढऩे से दुकानदार भी परेशान
सब्जियों के दाम बढऩे से आम जनता के साथ-साथ दुकानदार भी परेशान हैं। क्षेत्र के दुकानदारों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले ज्यादातर लोग मध्यम वर्गीय होते हैं। उन्होंने कहा कि सब्जियों के दाम दिन-व-दिन बढ़ रहे हैं जिस कारण लोगों के लिए इतनी मंहगी सब्जी खरीदकर खाना मुश्किल हो रहा है।
साथ ही उन्होंने कहा कि लोग मंहगी सब्जियां बहुत कम खरीद पा रहे हैं और इसी कारण दुकानदारों को भी काफी नुकसान हो रहा है। दुकानदारों का कहना है कि मंडी से इतनी मंहगी सब्जी लाने में उन्हें मजदूरों को ढुआई देनी पड़ती है और सब्जी लादकर लाने वाली गाड़ी को किराया देना पड़ता है। इसके बाद भी उनको सब्जी की बिक्री पर प्रति किलो 2-3 रूपये ही बचते हैं। साथ ही उनका कहना है कि नौकरी-पेशा वाले लोग तो शहर से ही सब्जी खरीद लेते हैं। जो लोग ग्रामीण क्षेत्रों में उनसे सब्जी खरीदते थे अब वो भी महंगी होने के कारण सब्जी चारीदने से जी चुराने लगे हैं जिस कारण दुकानदारों की आधे से ज्यादा सब्जियां पड़े-पड़े खराब हो जाती हैं। दुकानदारों ने भी सरकार से अनुरोध किया है कि जो चीजें आम आदमी की रोज-मर्रा की जरूरत की हैं उन्हें थोड़ा सस्ता किया जाए।