Edited By rajesh kumar,Updated: 07 Mar, 2020 06:35 PM
केंद्र सरकार ने नवगठित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए शुक्रवार को परिसीमन आयोग का गठन किया। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को परिसीमन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। पुनर्गठन के बाद जम्मू कश्मीर में सात विधानसभा सीटें...
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने नवगठित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए शुक्रवार को परिसीमन आयोग का गठन किया। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को परिसीमन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। पुनर्गठन के बाद जम्मू कश्मीर में सात विधानसभा सीटें बढ़नी हैं।
कानून मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक जस्टिस देसाई को एक साल के लिए इस आयोग की अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर तथा चार राज्यों के राज्य निर्वाचन आयुक्तों को आयोग का पदेन सदस्य बनाया गया है। आयोग जम्मू-कश्मीर में लोकसभा एवं विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन करेगा जबकि परिसीमन कानून 2002 के प्रावधानों के मुताबिक असम, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड में परिसीमन होगा।
परिसीमन के बाद J&K में 114 विधानसभा सीटें होंगी
बता दें कि जम्मू कश्मीर के पुर्नगठन से पहले विधानसभा में 87 सीटें थी और इनमें लद्दाख की चार सीटें शामिल थीं। वहीं गुलाम कश्मीर की 24 सीटें खाली रखी जाती थी। ऐसे में कुल 111 सीटें थी। अब लद्दाख नया केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है। ऐसे में पुर्नगठन के बाद लद्दाख की चार सीटें कम हो गई हैं। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 107 सीटें रह गईं। परिसीमन के बाद राज्य में 7 सीटें बढ़ेंगी और इनकी संख्या बढ़कर 114 हो जाएंगी। गुलाम कश्मीर की 24 सीटें कायम रहेंगी। परिसीमन 2011 की जनसंख्या के आधार पर होगा।
राज्य के पुनर्गठन के बाद जम्मू कश्मीर में लोकसभा की पांच सीटें रहेंगी और लद्दाख में एक सीट। लोकसभा सीटों में कई बदलाव नहीं होगा। साल 1995 में जम्मू कश्मीर का परिसीमन हुआ था, तब राज्य में सीटों की संख्या बढ़ाकर 75 से 87 की गई थी। इसके बाद फारूक अब्दुल्ला सरकार ने जम्मू कश्मीर विधानसभा ने प्रस्ताव पास कर परिसीमन पर रोक लगा दी थी। साल 2002 के चुनावों में कश्मीर और लद्दाख के मुकाबले जम्मू में मतदाताओं की संख्या अधिक थी। लेकिन इसके बावजूद कश्मीर में सीटों की संख्या अधिक रही और कश्मीरी केंद्रित दल राज्य की सत्ता पर काबिज रहे। यहीं एक बड़ी वजह है कि कश्मीर दल परिसीमन नहीं होने देना चाहते।