Edited By Monika Jamwal,Updated: 23 Jan, 2019 05:17 PM
पाकिस्तान लगातार सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघन कर रहा है। बुधवार को भी पाकिस्तनी सैनिकों ने पुंछ के मेंढर में एलओसी को निशाना बनाकर गोलीबारी की।
जम्मू : जम्मू संभाग के हितों के लिए कार्यरत संगठन एकजुट जम्मू द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के कथित जिहादी संबंधों के मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाए जाने की मांग की गई। संगठन ने आरोप लगाया गया कि राज्य में सक्रिय आतंकी संगठनों के साथ उनके संबंधों को लेकर देश की खुफिया एजेंसी रॉ के दो प्रमुखों द्वारा संकेत दिए जा चुके हैं। इसके साथ ही एकजुट जम्मू द्वारा राज्यपाल से अनुरोध किया गया कि बहुचर्चित रसाना मामले की जांच को सी.बी.आई. के हवाले करें ताकि इस मामले के साथ जिहादी संबंधों के अलावा जम्मू संभाग के हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए रची गई दुर्भावनापूर्ण साजिश का पर्दाफाश किया जा सके।
एक संवादददाता सम्मेलन के दौरान एकजुट जम्मू सदस्यों ने यह आरोप भी लगाया कि महबूबा मुफ्ती द्वारा जम्मू संभाग के लोगों के विरुद्ध एक साजिश के तहत चलाए जा रहे इस अभियान को निजी तौर पर नेतृत्व प्रदान किया जा रहा है।
जम्मू की लोकतांत्रित व्यवस्था को विकृत करने के हो रहे प्रयास
संवाददाताओं से बात करते हुए एकजुट जम्मू के चेयरमैन अंकुर शर्मा एडवोकेट महबूबा मुफ्ती द्वारा बौखलाहट में गुज्जर एवं बक्करवाल समुदाय के लोगों को जम्मू के हिन्दुओं के विरुद्ध खड़ा कर उनका जिहादी जनसांख्यिकी युद्ध में इस्तेमाल करने के प्रयास किए जा रहे हैं, परंतु जम्मू सभाग में समाज के सभी वर्ग उनके मन्सुबों से भली-भांति परिचित होने के कारण वे उन्हें जम्मू का सांप्रदायिक वातावण बिगाडऩे में सफल नहीं होने देंगे। महबूबा मुफ्ती पर जम्मू की लोकतांत्रित व्यवस्था को विकृत करने के लिए एक अग्रणी जिहादी माध्यम की भूमिका निभाने का आरोप लगाते हुए हुए एकजुट जम्मू प्रधान ने कहा कि राज्य की मुख्यमंत्री के अपने शासनकाल के दौरान संविधान की संपूर्ण अनदेखी कर मुस्लिम राज्य जम्मू-कश्मीर को एक इस्लामिक राज्य बनाने के हर स्तर पर प्रयास किए गए।
उनका कहना था कि इसकी सबसे बड़ी मिसाल 14 फरवरी 2018 को उनके द्वारा जारी किया गया एक आदेश था जिसमें उन्होंने संविधान की उपेक्षा कर राज्य को जिहादी तरीके से चलाने के प्रयास किए। अंकुर शर्मा का कहना था कि जम्मू शहर के साथ लगते कई क्षेत्रों को जम्मू नगर निगम समेत इसी प्रकार के अन्य विभागों के अधिकार क्षेत्र में लाए जाने के प्रयासों का महबूबा मुफ्ती द्वारा रह-रहकर किया जाने वाला विरोध इस बात का जीता-जागता प्रमाण है कि वह सरकारी भूमि, वन विभाग की भूमि एवं यहां तक कि निजी भूमि पर हुए अवैध अतिक्रमण के विरोध में किसी भी प्रकार की कार्रवाही के रास्ते में अडंगा डालना चाहतीं थीं।