Edited By ,Updated: 02 Feb, 2016 08:10 PM
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन पर लगातार पेंच बना हुआ है। मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल एन. एन. वोहरा से मुलाकात करने बाद कहा कि नई सरकार बनाने के लिए माहौल की जरूरत है।
श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन पर लगातार पेंच बना हुआ है। मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल एन. एन. वोहरा से मुलाकात करने बाद कहा कि नई सरकार बनाने के लिए माहौल की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केंद्र से पूरी तरह सहयोग की जरुरत है। महबूबा ने कहा कि केंद्र को जम्मू के लिए कुछ करना चाहिए।
महबूबूा मुफ्ती ने भाजपा को दिन में दिखाए तारे
राज्यपाल से मुलाकाते के दौरा न महबूबा ने अपनी बात केंद्र तक पहुंचा दी है। एक तरफ महाबली भाजपा है। केंद्र सरकार है। नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राम माधव जैसे धुरंधर हैं तो दूसरी तरफ राजनीति की नौसखिया है। भाजपा के महा ज्ञानी-ध्यानी, प्रकांड चतुर भाजपा नेताओं के आगे बेचारी महबूबा मुफ्ती की क्या हैसियत है। मगर महबूबा मुफ्ती ने दिन में तारे दिखा दिए हैं।
महबूबा को अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद के जनाजे के दिन समझ आया था कि घाटी का मुसलमान मुफ्ती साहेब को श्रदांजलि देने नहीं उमड़ा। महबूबा ने समझा, बूझा और वे सत्ता के लालच, मुख्यमंत्री की कुर्सी के मोह में नहीं फंसी। उन्होंने सत्ता की चिंता नहीं की बल्कि अपने आधार, अपने वोटों की चिंता करते हुए भाजपा को नचाने का, लटकाने का, उसे पदाने का फैसला किया।
शर्तों पर बनेगी सरकार
महबूबा मुफ्ती ने साफ कर दिया है कि सरकार बनेगी तो उनकी शर्तों पर। महबूबा का कहना है कि मुफ्ती मोहम्मद के सपनों को भाजपा पूरा करने का पहले दो टूक वादा करे। तब वे साझा सरकार बनाने, मुख्यमंत्री बनने की सोचेंगी अन्यथा भाजपा अपने घर बैठे। मतलब कश्मीर के उग्रवादियों-अलगाववादियों से बात करने के लिए केंद्र सरकार राजी हो। घाटी के जिलों से सशस्त्र बल याकि आफ्स्पा एक्ट हटाया जाए। सेना ने अपने पास जो जमीन रखी हुई है उसे वह खाली करे। पॉवर प्रोजेक्ट राज्य सरकार के सुपुर्द हो।
राहत-पुर्ननिर्माण का पैसा तयसुदा समय में देने की केंद्र गारंटी दे। मतलब महबूबा मुफ्ती वह सब चाह रही हैं जिससे घाटी के मुस्लिम अलगाववादियों के हौसले बुलंद हों। मोदी सरकार और भाजपा रेंगती दिखलाई दे।
क्या मोदी सरकार, भाजपा इस सीमा तक जाएंगे?
कहा नहीं जा सकता कि जब पीडीपी सरकार बनाने की हद तक पहले ही जा चुकी है और सरकार बनाने के बाद पंडितों के पुर्नवास से ले कर तमाम छोटे-बड़े मुद्दों को वह हाशिए में डाले रख सकती है तो अमन के नाम पर अलगाववादियों से बात करने का फार्मूला भी निकल सकता है! टफ, सख्त महबूबा के आगे भाजपा का समर्पण नामुमकिन नहीं है। इसलिए कि अन्यथा तो याकि वापिस चुनाव में जाना तो भाजपा का बाजा बजवाने वाला होगा!