Edited By rajesh kumar,Updated: 12 Nov, 2019 03:24 PM
चतुर्थ अतिरिक्त सत्र न्यायधीश श्रीनगर ने प्रॉसिक्यूशन द्वारा तुच्छ जांच किए जाने और आरोप साबित करने में नाकाम रहने पर आतंकी संगठन लश्कर के कथित आतंकी अब्दुल मजीद चीची निवासी कुपवाड़ा को बरी कर दिया..
जम्मू: चतुर्थ अतिरिक्त सत्र न्यायधीश श्रीनगर ने प्रॉसिक्यूशन द्वारा तुच्छ जांच किए जाने और आरोप साबित करने में नाकाम रहने पर आतंकी संगठन लश्कर के कथित आतंकी अब्दुल मजीद चीची निवासी कुपवाड़ा को बरी कर दिया। आरोपी को बरी करते हुए कोर्ट ने पाया कि जब्त किए ग्रेनेड व राऊंड की बैलिस्टिक एक्स्पर्ट से जांच ही नहीं करवाई गई कि वे चलते भी हैं अथवा नहीं।
इसके साथ ही प्रॉसिक्यूशन के पास एक भी गवाह अथवा दस्तावेज नहीं है कि जिससे यह साबित किया जा सके कि बरामद किए गए विस्फोटक अथवा अन्य सामान को बैलिस्टिक एक्सपर्ट को दिखाया भी गया है या नहीं। कोर्ट ने पाया कि यह तथ्य भी प्रॉसिक्यूशन के खिलाफ जाता है। कोर्ट ने इस मामले में स्टेट ऑफ पंजाब बनाम जग्गा सिंह ए.आई.आर. 1998 केस का भी उदाहरण दिया।
कोर्ट ने पाया कि इस मामले में 5 गवाह थे जबकि इनमें से केवल 2 के बयान लिए गए हैं, जबकि 3 अन्य को कोर्ट में बुलाया ही नहीं गया। मामले की जांच कर रहे आई.ओ.और अहम गवाह खालिद हुसैन को भी कोर्ट में नहीं बुलाया गया है। जिससे जांच में रहने वाली कर्मियों पर सफाई दी जा सके। कोर्ट ने इस पूरे मामले में तमाम पहलुओं को मद्देनजर रखते हुए पाया कि प्रॉसिक्यूशन की कहानी में विश्वास की कमी है। इसमें आरोपी को 7/25 आर्म्स एक्ट में दोषी ठहराने की कोई गुंजाइश नहीं है। लिहाजा कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया।