Edited By ,Updated: 04 Jan, 2016 01:18 PM
संवेदनशील मामलों पर अत्यंत न्यायिक संयम पर बल देते हुए वरिष्ठ पी.डी.पी. नेता एवं सांसद तारीक हमीद कर्रा ने न्यायपालिका को इनसे दूर रहने को कहा है।
जम्मू कश्मीर : संवेदनशील मामलों पर अत्यंत न्यायिक संयम पर बल देते हुए वरिष्ठ पी.डी.पी. नेता एवं सांसद तारीक हमीद कर्रा ने न्यायपालिका को इनसे दूर रहने को कहा है। करा ने रविवार को कहा कि राज्य ध्वज की स्थिति सहित जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ‘निर्विवाद’ और न्यायपालिका के अधिनिर्णय से परे है क्योंकि यह भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त है और राज्य के सविधान और सांसद द्वारा इसकी पुष्टि की गई है। उन्होने कहा कि संवेदनशील मुद्दों में अनावश्यक दखल के बजाय न्यायाधीशों को इस तरह के मुद्दों पर संविधान और विधायिका द्वारा स्थापित परंपरा को बनाए रखनी चाहिए।
राज्य ध्वज को फहराने के मुद्दे पर न्यायपालिका के फैसले के बाद नवीनतम विवाद पर निराशा जाहिर करते हुए कर्रा ने कहा कि मुद्दे पर संवैधानिक प्रतिज्ञा स्थापित किए जाने को दोहराने के बजाय न्यायपालिका ने संवदेनशील मुद्दे जिसको पहले से संविधान और सांसद द्वारा सेटल किया गया है पर जरुरत से ज्यादा विवाद शुरु कर दिया है।
पी.डी.पी. सांसद ने कहा कि दुर्भाग्य से जम्मू कश्मीर उच्च न्यायलय ने बीफ मुद्दे की तरह राज्य ध्वज मुद्दे पर दो अलग-अलग फैसले दिए है। साथ ही जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जे की संविधान के तहत गारंटी और संरक्षा है और यहां तक कि न्यायपालिका सहित किसी को भी इस तरह से संवेदनशील मुद्दों पर हस्ताक्षेप नही करना चाहिए।
कर्रा ने कहा कि राज्य ध्वज पर उच्च न्यायालय का हालिया विरोधभासी आदेश ऐसा बिन्दु है जहां न्यायापालिका को संवेदनशील मुद्दे पर छेड़छाड़ करने की कोशिश करने के बजाय मुद्दे को संविधान के सैद्धांतिक स्टैंड़ को लिया जाना चाहिए था। साथ ही न्याायिक सक्रियता का सहारा लेने के बजाय न्यायाधीशों को इस तरह के नाजुक मामलों पर न्यायिक संयम को बरतना चाहिए था।
पी.डी.पी. के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह देखने की भी जरुरत है कि राज्य ध्वज मुद्दे पर 2014 में उच्च न्यायालय को दरवाजा खटखटाने के लिए क्या प्रेरणा थी। हालांकि, इसे पहले से संविधान, भारतीय सांसद और जम्मू कश्मीर के विधानसभा द्वारा सेटल किया गया है। उनके आकाओं और पैसा देने वालों के इशारों पर संवेदनशील मुद्दों पर विवादों के ईंधन की कोशिश करने वाले संदिग्ध व्यक्तियो को बेनकाब करने का समय आ गया है। साथ ही समाज के प्रति सकारात्मक योगदान देने के बजाय इस तरह के तत्व उनके निहित स्वार्थों के लिए संवेदनशील मुद्दों पर भावनाएं जुटाने की कोशिश करने में लगे हुए हैं।
कर्रा ने कहा कि राज्य ध्वज की अपनी पवित्रता है और मुद्दे पर अविवेकी और बेताल न्यायिक टिप्पणियों के बावजूद इसकी पवित्रता जारी रहेगी।