ताक में बेटियों की सुरक्षा, J&K में तैनात सिर्फ 3 फीसदी महिला पुलिसकर्मी

Edited By rajesh kumar,Updated: 05 Dec, 2019 01:28 PM

only 3 women police shortage for daughters safety in jammu and kashmir

दिल्ली में निर्भया के बाद अब हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ जिस तरह की हैवानियत की गई है, उससे देश भर की महिलाओं में डर है। वे सवाल उठाती हैं कि आखिर उन्हें कब सुरक्षित माहौल मिलेगा? उनके साथ ज्यादती पर त्वरित इंसाफ कब होगा? ऐसी घटनाओं से...

श्रीनगर: हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ जिस तरह की हैवानियत की गई है, उससे देश भर की महिलाओं में डर का माहौल बना हुआ है। ऐसे में महिलाओं का सवाल है कि आखिर उन्हें कब सुरक्षित माहौल मिलेगा। जम्मू-कश्मीर भी ऐसी घटनाओं से अछूता नहीं है। सवाल है कि राज्य प्रशासन बेटियों को सुरक्षित कैसे रख सकेगा, जब राज्य पुलिस में सिर्फ 3 फीसदी महिला कर्मचारी ही हैं। जम्मू-कश्मीर में महिलाओं की संख्या करीब 60 लाख से अधिक है। इतनी बड़ी आबादी से जुड़े कानूनी मसलों के लिए महिला पुलिस कर्मियों की संख्या बहुत कम है। करीब एक लाख कर्मचारियों वाली जम्मू-कश्मीर पुलिस में करीब 3 हजार महिला अधिकारी व कर्मचारी हैं। जम्मू-कश्मीर के 20 जिलों में से मात्र 2 जिलों रियासी औऱ रामबन में ही महिलाएं सीनियर सुपरिंटैंडैंट ऑफ  पुलिस (एस.एस.पी.) के पद पर तैनात हैं। अन्य किसी भी महिला अधिकारी को अहम पद पर तैनात नहीं किया गया है।

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श्रीनगर में महिला अहिंसा के सबसे अधिक मामले, जम्मू दूसरे नंबर पर
जम्मू संभाग की तुलना में कश्मीर संभाग के जिलों में महिला अपराध के मामले अधिक हुए। प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में वर्ष 2018 में महिला अपराधों के 500 मामले सामने आए हैं। जम्मू जिले में 357, बडग़ाम में 324, बारामूला में 245, अनंतनाग में महिला अहिंसा से जुड़े 233 मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2018 में ही राजौरी जिले में 182 महिलाओं ने अहिंसा की शिकायत दर्ज करवाई। इनमें छेड़छाड़ के 62, 29 दुष्कर्म के मामले, 47 अपहरण और पति द्वारा क्रूरता के 35 मामले शामिल हैं। जिला कुलगाम में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 215 मामले दर्ज हुए थे, जिसमें दुष्कर्म के 15, अपहरण के 49 और छेड़छाड़ के 94 मामले दर्ज किए गए हैं। इसी तरह सोपोर में 172, कुपवाड़ा जिले में 171 और ऊधमपुर जिले में 156 मामले दर्ज हुए थे। जिला कठुआ में 117, जिला गंदरबल में 108 और पुंछ में महिला प्रताडऩा से जुड़े 105 मामले दर्ज हुए थे।

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चिंतित करते हैं अहिंसा और दुष्कर्म के आंकड़े 
जम्मू-कश्मीर में पिछले 2 वर्षों के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े मामलों में वृद्धि देखी गई है। राज्य अपराध शाखा की रिपोर्ट में यह खुलासा होता है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने महिलाओं के खिलाफ अहिंसा के 3363 मामले दर्ज किए। इनमें अपहरण, दुष्कर्म, छेड़छाड़, दहेज प्रताडऩा, पति द्वारा क्रूरता आदि शामिल थे। वर्ष 2018 में ये मामले बढ़कर 3623 हो गए। 2017 की तुलना में 260 मामलों की वृद्धि हुई। वर्ष 2018 में जम्मू-कश्मीर के सभी जिलों में पुलिस द्वारा छेड़छाड़ के 1602 मामले और दुष्कर्म के 354 मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2017 में दुष्कर्म के मामलों की संख्या 314 थी। चिंताजनक बात यह है कि वर्ष 2018 में महिलाओं के अपहरण के 1079 मामले दर्ज हुए थे, जो वर्ष 2017 की तुलना में 119 ज्यादा थे।

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बच्चियों से दुष्कर्म व हत्या के ताजा मामले
13 नवम्बर को जिला सांबा में 6 वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। 14 मई को बांदीपुरा में तीन वर्ष की बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना के बाद जम कर प्रदर्शन हुए थे। 8जून को जिला रामबन में पीर ने 6 वर्ष की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था। जम्मू कश्मीर के डीजीपी के अनुसार राज्य  पुलिस में महिलाओं की हिस्सेदारी को बढ़ाने हेतु महिला बटालियन का गठन किया जा रहा है। वहीं महिलाओं को पुलिस में भर्ती होने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।

 

 

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