Edited By rajesh kumar,Updated: 04 Mar, 2020 02:33 PM
पाकिस्तानी गोलाबारी में 19 जनवरी, 2018 को सीमावर्ती गांव कोरोटाना खर्दु निवासी साहिल चौधरी की मौत के जख्म अभी परिवार के दिलों में दिखाई दे रहे हैं। सीमा के नजदीक घर में पाकिस्तानी गोले गिरने से दीवार पर निशान अभी भी दिखाई दे रहे हैं व दरवाजा भी अभी...
आर.एस.पुरा(मुकेश): पाकिस्तानी गोलाबारी में 19 जनवरी, 2018 को सीमावर्ती गांव कोरोटाना खर्दु निवासी साहिल चौधरी की मौत के जख्म अभी परिवार के दिलों में दिखाई दे रहे हैं। सीमा के नजदीक घर में पाकिस्तानी गोले गिरने से दीवार पर निशान अभी भी दिखाई दे रहे हैं व दरवाजा भी अभी टूटा हुआ है। 12वीं कक्षा का छात्र साहिल चौधरी घर का इकलौता बेटा था।
उसके पिता कृष्ण लाल के मुताबिक उस दिन गोलाबारी हो रही थी और उसने अपने बेटे को कमरे के अंदर आने को कहा। फिर एक गोला उनके आंगन में आकर गिरा, जिसके कुछ छर्रे साहिल के गले में लगे और उसकी मौत हो गई। पाक गोले के कुछ छर्रे उसे भी लगे। इसके बाद वह 2 दिनों तक अस्पताल में रहा। यह बात कहते हुए कृष्ण लाल की आंखों में आंसू निकल आए। उसने बताया कि बेटे की मौत के बाद मानों उनका सब कुछ बर्बाद हो गया। उसकी पत्नी बेसुध हो गई। इसके बाद उन्हें एस.डी.एम. कार्यालय बुलाकर एक लाख रुपए का चैक दिया गया, जोकि संस्कार के लिए दिया जाता है। गोले के छर्रे लगने से वह ठीक से चल नहीं पा रहा है।
2 वर्ष बीत जाने के बाद भी गोलाबारी पीड़ित परिवार को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकी है। मृतक युवक के पिता ने बताया कि उनकी फाइल कहां अटकी है यह उन्हें नहीं बताया जा रहा है, लेकिन अब उनकी इच्छा है कि उनके बेटी को सरकारी नौकरी दी जाए, ताकि उनकी हालत में थोड़ा-बहुत सुधार हो सके। जब किसी ने उनकी नहीं सुनी तो पीड़ित परिवार ने सोमवार को डिवकॉम आफिस जाकर मदद की गुहार लगाई।