मनरेगा की 1000 हजार करोड़ की देनदारी के विरोध में भूख हड़ताल पर बैठे पंच-सरपंच

Edited By rajesh kumar,Updated: 04 Dec, 2019 02:14 PM

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जम्मू व कश्मीर की विभिन्न पंचायतों के सरपंचों व पंचों की ऑल जे. एंड के.पंचायत कांफ्रैंस(ए.जे.के.पी.सी.) ने मनरेगा की 1000 करोड़ की देनदारियों के विरोध में 168 घंटे का अनशन शुरू किया है। चुने हुए पंचायत के सदस्यों ने संवेदनशील क्षेत्रों के सरपंचों व...

जम्मू(मगोत्रा): जम्मू व कश्मीर की विभिन्न पंचायतों के सरपंचों व पंचों की ऑल जे. एंड के.पंचायत कांफ्रैंस(ए.जे.के.पी.सी.) ने मनरेगा की 1000 करोड़ की देनदारियों के विरोध में 168 घंटे का अनशन शुरू किया है। चुने हुए पंचायत के सदस्यों ने संवेदनशील क्षेत्रों के सरपंचों  व पंचों ने सरकार द्घारा सरपंचों को 2500 और पंचों को 1000 रुपए प्रतिमाह दिए जाने वाले मानदेय वेतन को सम्मान जनक बढ़ाने को कहा।

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मंगलवार को विभिन्न पंचायतों के प्रतिनिधियों ने पं. प्रेम नाथ डोगरा चौक में जमा होकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया औऱ सरकार द्घारा मनरेगा की 1000 करोड़ की देनदारियों को चुकता करने में विफल रहने के विरोध में नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार की नाकामी के कारण गरीब श्रमिक भुखमरी की कगार पर हैं। मंगलवार को भूख हड़ताल पर बैठने वालों में ए.जे.के.पी.सी. के प्रधान अनिल शर्मा, जितेंद्र सिंह सरपंच, शाम लाल सरपंच, देस राज सरपंच, व कोडा राम सरपंच शामिल थे।

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इस मौक पर अनिल शर्मा सरपंच व प्रधान ए.जे.के.पी.सी. ने यू.टी. प्रशासन पर आरोप लगाया कि गरीब लोगों के वेजिज अदा करने के लिए 15 दिनों का कानूनी नोटिस दिया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि ये देनदारियां गत 4 सालों से निरंतर बनीं हुई हैं। 25 दिन बीत जाने के बाद भी यूटी ने इस संदर्भ में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है जिसके कारण आज हमें मजबूर होकर भूख हड़ताल पर बैठना पड़ रहा है। बड़े दुख की बात है कि जरूरतमंद श्रमिकों ने कार्यों को पूर्ण करने के मकसद से अपना खून-पसीना बहाया है, जबकि उनकों मानदेय वेतन के लिए तरसना पड़ रहा है।

उन्होंन कहा कि श्रमिकों ने मनरेगा के तहत कार्य 2015 में किए थे और अब 2019 में खत्म हो चुका है, लेकिन उनकी समस्याओं का कोई हल नहीं निकला है। सरकार द्घारा आश्वासन दिए जाने के बाद भी इस गंभीरता से नहीं लिया गया है।

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