अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा से पहले एक सिख संगठन ने कश्मीर में अपने समुदाय के सदस्यों को सतर्कता बरतने को कहा। संगठन का कहना है कि इस तरह की हाई प्रोफाइल यात्राओं से 2002 के छत्तीसिंहपुरा नरसंहार की यादें ताजा हो जाती हैं, जब अज्ञात बंदूकधारियों ने 36 सिखों को मार दिया था।
श्रीनगर: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा से पहले एक सिख संगठन ने कश्मीर में अपने समुदाय के सदस्यों को सतर्कता बरतने को कहा। संगठन का कहना है कि इस तरह की हाई प्रोफाइल यात्राओं से 2002 के छत्तीसिंहपुरा नरसंहार की यादें ताजा हो जाती हैं, जब अज्ञात बंदूकधारियों ने 36 सिखों को मार दिया था।
सर्वदलीय सिख समन्वय समिति (एपीएससीसी) के अध्यक्ष जगमोहन सिंह रैना ने यहां एक बयान में कहा कि एक बड़े विदेशी नेता, विशेष रूप से अमेरिकी नेता की यात्रा से घाटी में रह रहे सिखों के बीच डर का माहौल बन जाता है। ऐसा लगता है पूरा भारत ट्रम्प की यात्रा की तैयारी में व्यस्त है, लेकिन यह यात्रा कश्मीर के सिखों में इस आशंका को जन्म दे रही है कि समुदाय फिर से निशाने पर हैं।
रैना ने कहा सिख असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और उन्हें डर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा के पहले कुछ अनहोनी हो सकती है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की यात्रा के दौरान कश्मीर के सिखों के साथ हुई घटना के 20 साल बाद भी लोगों को इसका डर सता रहा है। उन्होंने कहा हालांकि, क्लिंटन की यात्रा के दौरान मार्च 2000 में अनंतनाग के छत्तीसिंहपुरा के 36 सिख मारे गए थे, लेकिन आज तक अपराध को अंजाम देने वाले लोगों की पहचान नहीं की जा सकी है। रैना ने छत्तीसिंहपुरा घटना की निष्पक्ष व गहन जांच की मांग की ताकि हत्यारों को सजा मिल सके।
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