जम्मू के पाडर गांव में सूखे कूंए में पानी तलाशने को मजबूर हैं लोग (देखिए तस्वीरें)

Edited By ,Updated: 28 Apr, 2016 02:36 PM

water scarcity in jammu paddar village

सिर्फ लातूर ही पानी के लिए नहीं तरस रहा है बल्कि जम्मू के भी कई गांव ऐसे हैं, यहां पीने को पानी नहीं है।

जम्मू :सिर्फ लातूर ही पानी के लिए नहीं तरस रहा है बल्कि जम्मू के भी कई गांव ऐसे हैं, यहां पीने को पानी नहीं है। ऐसा ही गांव है पाडर। जम्मू में छोटी काशी के नाम से मशहूर पुरमंडल का एक गांव।

कच्चा और पहाड़ी रास्ता। दूर-दूर तक कोई छांव नहीं। ऐसे में सिर पर मटका और हाथों में बाल्टी लिए ग्रेजूएट सीमा सूखे कूंए में दो बूंद पानी की तलाश में जा रही है। वो अकेली नहीं है। उसके साथ गांव की और भी बहुत सारी औरते हैं। कूंआं। या यूं कहें कि मिट्टी का सूखा गड्डा, जिसमें दूर कहीं तलहटी पर थोड़ा सा पानी दिखा रहा है। पीने लायक नहीं है पर गांववाले उसे बर्तन में भरते हैं, फिर छानते हैं और पीने लायक बनाते हैं। सब इस तरह का पानी पीने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि ऐसा भी पानी नसीब हो रहा है, तो खुशी की बात है।

गांव का रास्ता ऐसा नहीं है कि पानी के टंकर भी वहां पहुंच सकें। गांववासियों के अनुसार ज्यादातर लोग यहां से जा चुके हैं। कुछ बड़ी ब्राहमणा, कु छ पुरमंडल, सरूईसर और अन्य जगहों पर चले गए हैं लेकिन जो यहां है उनका जीना मुशिकल है। कई-कई दिनों से कोई नहाया नहीं है। कपड़े तक नहीं धुले हैं।

जानवरों के लिए भी पीने का पानी नहीं है। असम में तैनात गांव के एक फौजी ने बताया, मैं दो महीने की छुट्टी काटने आया हूं। दो दिन हो गए हैं। सोच रहा हूं वापिस चला जाऊं और मां-बाप को भी साथ ले जाऊं। वहीं गांव के रामदन कहते हैं, बेटा बाहर जाना कोई हल नहीं है। ऐसे तो गांव बर्बाद हो जाएगा। पानी की व्यवस्था के बिना रहना भी बेकार है। समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें।

 

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