बुध का खास कनैक्शन, जीवन में लाता है बड़ा बदलाव

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Aug, 2020 09:47 AM

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नवग्रहों में बुध ग्रह को ग्रहपति और राजकुमार की संज्ञा प्रदान की गई है। आयु प्रधान ग्रह बुध प्रमुख रूप से बुद्धि, वाणी, व्यवसाय, ज्योतिष, दस्तकारी, गणित, चतुराई और चिंतन के स्वामी हैं।

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Effects of Budha Grah: नवग्रहों में बुध ग्रह को ग्रहपति और राजकुमार की संज्ञा प्रदान की गई है। आयु प्रधान ग्रह बुध प्रमुख रूप से बुद्धि, वाणी, व्यवसाय, ज्योतिष, दस्तकारी, गणित, चतुराई और चिंतन के स्वामी हैं। बुध शुभ ग्रहों के साथ शुभ और अशुभ ग्रहों के साथ अशुभ परिणाम देते हैं। यदि किसी कुंडली में बुध शुभ हों तो ऐसे जातक को सभी कार्यों में सफलता मिलती है। बुध एक वर्ष में लगभग आठ माह सूर्य से युति कर बुधादित्य योग का निर्माण करते हैं और सूर्य के साथ रहने के बावजूद अस्तगत प्रभाव नहीं देते हैं।

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बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं। प्रथम भाव में बुध सर्वाधिक बली होते हैं, चतुर्थ एवं दशम भाव में कारक तथा सप्तम भाव में सर्वोत्तम परिणाम देते हैं। सूर्य, शुक्र एवं राहु इनके मित्र ग्रह हैं तथा चंद्रमा शत्रु है। बुध उत्तर दिशा के स्वामी होते हैं। वार बुधवार एवं गणेश जी इस ग्रह के देव माने गए हैं। 

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बुध प्रधान व्यक्ति
मिथुन एवं कन्या लग्र तथा मिथुन और कन्या राशि के जातक भाग्यशाली होते हैं, कटु वाणी नहीं बोलते हैं और अप्रिय प्रसंगों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते हैं। ऐसे जातकों का भाग्योदय देरी से (32 से 33 वर्ष की उम्र में) होता है। बुध के जातकों की आंखें गोल एवं चाल धीमी होती है। यदि ऐसे जातक के दांत थोड़े बाहर निकले हों तो ये अत्यंत बुद्धिमान होते हैं। बुध न सिर्फ बुद्धि वरन चतुराई, बल एवं शीघ्रता के भी कारक होते हैं। योगेश्वर श्रीकृष्ण की कुंडली के पंचम भाव में उच्च के बुध ने उनको बुद्धिजीवी, सफल कूटनीतिक ज्ञानी एवं वाणी का सम्राट बनाया। वे जिस भी कार्य का बीड़ा उठाते थे सफलता स्वत: मिलती थी। 

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बुध जब विपरीत परिणाम दें
यदि कुंडली में बुध नीचस्थ, पाप ग्रह युत या पापी ग्रहों से दृष्ट हों, तो विपरीत परिणाम देते हैं। यदि बुध विपरीत परिणाम दे रहे हों तो निम्र लक्षण प्रकट होते हैं- नकसीर छूटना, हकलाना, गंधहीनता, सामने के दांत टूटना, संतानोत्पत्ति क्षमता का क्षीण होना, टी.बी., अस्थमा, स्नायु तंत्र की कमजोरी, मस्तिष्क पक्षाघात, पथरी, बवासीर, दांतों में विकार एवं श्वसन तंत्र कमजोर होना आदि। 

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