कपड़ो से संबंधित कुछ बातों को ध्यान में रखने से व्यक्ति कभी गरीब नहीं होता

Edited By ,Updated: 16 Mar, 2016 02:51 PM

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रोजमर्रा के जीवन में व्यक्ति जो भी काम करता है उसका संबंध भूत, भविष्य और वर्तमान से होता है। जीवन में जो भी कार्य किए जाएं वो शास्त्र सम्मत होने चाहिए न की अपनी इच्छा के अनुसार करने चाहिए। इससे सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

रोजमर्रा के जीवन में व्यक्ति जो भी काम करता है उसका संबंध भूत, भविष्य और वर्तमान से होता है। जीवन में जो भी कार्य किए जाएं वो शास्त्र सम्मत होने चाहिए न की अपनी इच्छा के अनुसार करने चाहिए। इससे सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

कपड़ों से संबंधित कुछ खास बातों को ध्यान में रखने से व्यक्ति कभी गरीब नहीं होता

* शास्त्रों में कहा गया है की नहाने के बाद गिले वस्त्रों को ऊपर से उतारना चाहिए।

* नदी में स्नान करने के बाद कपड़ों को ऊपर से नीचे की ओर उतारें। 

* भीगे हुए कपड़ों की चार परत करने के बाद निचोडे।

* कपड़े सुखाते समय पूर्व से या उत्तर से दक्षिण की ओर फैलाना चाहिए।

* निचोड़े हुए कपड़ों को कंधे पर नहीं रखना चाहिए।

* नग्न अवस्था में स्नान न करें। 

शास्त्र वस्त्र संहिता के अनुसार 

* एक वस्त्र धारण करके न तो भोजन करें, न यज्ञ करें, न दान करें, न अग्नि में आहूति दें, न स्वाध्याय करें, न पितृ तर्पण करें। (यज्ञं दानं जपो होमं... व्याघ्रपादस्मृति 381)

* जिसकी किनारी या मगजी न लगी हो, ऐसे वस्त्र धारण करने योग्य नहीं। (वर्ज्य च विदशं वस्त्रम्...)

* पहले के पहने हुए वस्त्र को बिना धोए पुन: नहीं पहनना चाहिए। (नाप्रक्षाोलतं पूर्वधृतं वसनं विभृयात...विष्णुस्मृति 64)

* वस्त्र के ऊपर जल छिड़क कर ही उसे पहनना चाहिए। (प्रोक्ष्य वास उपयोजयेत् आपस्तम्बधर्मसू्त्र 1/5/15/15)

* धन के रहते हुए पुराने और मैले वस्त्र नहीं पहनने चाहिएं। (सति विभवे न जीर्णमलवद्वासां: स्यात्...गौतम स्मृति 9)

* मनुष्य को भीगे हुए वस्त्र नहीं पहनने चाहिएं। (न चैवाद्राणि वासांसि...महाभारत, अनु.104/52)

* अधिक लाल, रंग बिरंगे, नीले और काले रंग के वस्त्र धारण करना उत्तम नहीं। (न चापि रक्तवासा:...मार्कंडेय पुराण 34/54) 

* कपड़ों और गहनों को उल्टा कभी न पहनें। (न च कुर्याद विपर्यासं...मार्कण्डेय पुराण 34/54) 

* दूसरों के पहने हुए कपड़े नहीं पहनने चाहिएं। (तथा नान्यधृतं धार्यम्...महाभारत, अनु.104/86)

* सोने के लिए दूसरा वस्त्र होना चाहिए। सड़कों पर घूमने के लिए दूसरा और देवताओं की पूजा करने के लिए दूसरा वस्त्र रखना चाहिए।  (अन्यदेव भवेद् वास: शयनीये नरोत्तम...महाभारत, अनु. 104/86-87) 

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