अदृश्य रूप से काम कर जाते हैं ये टोटके, साधारण बुद्धि वालों के लिए समझना है मुश्किल

Edited By ,Updated: 30 May, 2016 09:28 AM

empiricism of science

टोटका वह विज्ञान है जिसके संतुलित, समयबद्ध और निरंतर प्रयोग से समस्याओं का निराकरण संभव हो सकता है। जो बातें हमारा कार्य सिद्ध करवा देती हैं तथा

टोटका वह विज्ञान है जिसके संतुलित, समयबद्ध और निरंतर प्रयोग से समस्याओं का निराकरण संभव हो सकता है। जो बातें हमारा कार्य सिद्ध करवा देती हैं तथा हमारी समझ से बाहर हैं उन्हें हम अलौकिक, गुप्त आदि कह देते हैं। अलौकिक अर्थात जो हमारे लोक में ही न हों। ऐसे ही अलौकिक पदार्थ, प्रयोग, कर्म जो अल्प समय में और न्यूनतम प्रयास द्वारा संपन्न किए जाते हैं, टोटका कहलाते हैं। इनके फलीभूत होने के पीछे दो बातें ध्यान में रखना अति आवश्यक है। एक तो इनको करते समय कोई टोके नहीं, दूसरे इनके प्रति पूर्ण रूप से श्रद्धा और आस्था कर्ता के मन में होनी चाहिए।

 


* आपने प्राय: सुना होगा कि कमर की नस यदि चढ़ जाए जिसे सामान्य भाषा में ‘चिक चढऩा’ कहते हैं तो किसी ऐसे बच्चे के पैर सात बार पीठ पर लगवा देने से वह ठीक हो जाती है, जो उलटे पैर जन्मा हो।

 

 

* बच्चों को नजर लग जाती है, यह अकाट्य सत्य है। नजर लगने पर प्रभावित बच्चे के ऊपर से नमक, मिर्च उतार कर जलाए जाते हैं। 

 

 

* लहसुन की कली, जायफल, नीलकंठ के पंख आदि का नजरबट्टू डालना अथवा उसके माथे पर काजल का टीका लगाकर नजर के कुप्रभाव से रक्षा करना सर्वविदित है। काला धागा पहनना तो अधिकांशत: प्रचलित है।

 

 

* छोटे बच्चों के दांत निकलने में कभी-कभी अत्यधिक पीड़ा जनित उपस्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसके निदान के लिए बच्चे के गले में रोहु मछली के पांच दांत धागे में बांधकर लटकवा दीजिए। चमत्कारी रूप से आपको लाभ दिखाई देगा। कभी-कभी नवजात शिशु नींद में डर कर चौंक जाते हैं जैसे किसी भयानक दृश्य से सहम गए हों। ऐसे बच्चों के गले में लहसुन की चार-पांच कलियां धागे में बांधकर डाल दीजिए। सूखने पर इन्हें नए से बदल दिया करें। बच्चा नींद में डरेगा नहीं।

 

 

* जन्म लेने वाली प्रथम संतान यदि लड़का है तो उसकी ‘नाल’ उसके छठ के कपड़े में बांधकर अपने पास सुरक्षित रख लें। किसी भी शुभ कार्य में अथवा अपने इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए घर से निकलते समय इसको भी अपने साथ श्रद्धा भाव से ले जाया करें। आपका वांछित कार्य अवश्य ही पूर्ण होगा।

 

 

* ‘बुरी नजर वाले, तेरा मुंह काला’, ‘बुरी नजर वाले, तेरे बच्चे शराब पीएं’, ‘बुरी नजर, उलटा हो तुझ पर असर’ आदि शब्द आपने ट्रकों के पीछे लिखे अवश्य देखे होंगे। दुकान पर नींबू- मिर्च, भवनों पर राक्षस के डरावने मुखौटे, हंडिया, हल्दी की गांठ, आम के पत्तों की वंदनवार आदि भी अवश्य देखी होगी। टोटकों में अविश्वास करने वाला व्यक्ति भी इन्हें किसी न किसी रूप में प्रयोग करता अवश्य दिखाई दे जाता है।

 

 

 नजर के असर को बेअसर करने के लिए लोग अपने-अपने तरीके से तथा सुविधानुसार कुछ न कुछ उपक्रम करते रहते हैं। एक यह प्रयोग भी करके देखिए। व्यापार में उन्नति के लिए यह टोटका बहुत ही प्रभावशाली सिद्ध होगा। 

 

 

* मोटे गत्ते अथवा टीन को एक स्वास्तिक के आकार का काट लें। आटे की लेई से उस पर नागकेसर चिपका लें। यदि आप अपने कार्य स्थल पर मिर्च तथा नींबू टांगते हैं तो अब से इस स्वस्तिक के ऊपर धागे से पिरो कर टांगा करें। मिर्चों की संख्या सात रखा करें।

 

 

* आज चिकित्सा विज्ञान ने सर्वसम्मति से यह मान लिया है कि रोग से भरे वातावरण को विशुद्ध बनाने के लिए पानी से भरा खुले मुंह वाला बर्तन रखना बहुत लाभदायक है। इस प्रकार रोग की मूल घातक गैस तथा रोगाणु उसमें समा जाते हैं और वातावरण संक्रामक नहीं हो पाता। 

 

 

* हाथ में नीम की टहनी, मोर का पंख आदि लेकर किसी को झाडऩे अथवा टोटका करने का भी यही अभिप्राय (वैज्ञानिक आधार) होता है कि रोग के घातक कीटाणु टहनी अथवा पंख या अन्य, जो साधन प्रयोग किया जा रहा है, के अग्र भाग पर एकत्रित हो जाते हैं, उन्हें फिर जल, धरती अथवा कहीं अन्यत्र फैंक दिया जाता है और इस प्रकार रोगी ठीक होने लगता है।

 

 

टोटका विज्ञान इस प्रकार से अदृश्य रूप से कार्य करता है कि हमारी साधारण बुद्धि उसे समझ नहीं पाती। आज आवश्यकता है योग्य टोटका मास्टर की तलाश की तथा इनको परखने समझने वाली वैज्ञानिक दृष्टि की।

 

—गोपाल राजू 

 

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