Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Oct, 2020 05:51 AM
शरद नवरात्र एवं वसंत नवरात्र स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत उपयोगी हैं। जब इन नवरात्रों में ऋतु परिवर्तन होता है तो हमें नियमपूर्वक मन, वाणी और शरीर द्वारा शुद्ध आचरण, फलाहार तथा स्वस्थ जीवन जीने का सुअवसर प्राप्त होता है, मां भगवती साक्षात
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Shardiya Navratri 2020: शरद नवरात्र एवं वसंत नवरात्र स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत उपयोगी हैं। जब इन नवरात्रों में ऋतु परिवर्तन होता है तो हमें नियमपूर्वक मन, वाणी और शरीर द्वारा शुद्ध आचरण, फलाहार तथा स्वस्थ जीवन जीने का सुअवसर प्राप्त होता है, मां भगवती साक्षात परा शक्ति प्रकृति हैं। मां दुर्गा सत्वगुण, रजोगुण तथा तमोगुण की अधिष्ठात्री देवी हैं। नवरात्र के दिनों में किए गए पूजन से भक्तों को मन की स्थिरता, आत्मबल, सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जीव के अंदर उत्पन्न होने वाले मनोविकार ही जीव के कल्याण में बाधक हैं। नवरात्रों में मां जगदम्बे के नौ रूपों का पूजन जीव के भीतर आसुरी भावों का नाश कर दैवीय गुणों का संचार करता है।
Durga Saptashati: नवरात्र काल में दुर्गा सप्तशती का पाठ समस्त प्रकार के कष्टों का निवारण करने वाला है। पूजन के समय उत्तर-पूर्व दिशा का चुनाव करना चाहिए। मिट्टी की वेदी बनाकर जौ बोए जाते हैं। अष्टमी तथा नवमी के पूजन वाले दिन पूरी-हलवा-चना आदि से मां को भोग लगाकर कंजक पूजन किया जाता है। नौ दिन शुद्ध घी से मां दुर्गा जी के निमित्त ज्योति प्रज्वलित की जानी चाहिए।
शङ्खचक्रगदाशङ्र्गगृहीत परमायुधे। प्रसीद वैष्णवीरूपे नारायणि नमोऽस्तुते।।
शंख, चक्र, गदा और शाङ्ग धनुष रूप उत्तम आयुधों को धारण करने वाली वैष्णवी शक्तिरूपा नारायणी। आप प्रसन्न होइए एवं आपको नमस्कार है। इस प्रकार मां भगवती की उपासना करनी चाहिए।
Navratri Mahotsav: श्रीमद् देवी भागवत में मां आदिशक्ति के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन मिलता है। महर्षि मार्कंडेय द्वारा रचित दुर्गा सप्तशती में यह वर्णित है कि मां दुर्गा पुण्यात्माओं के घरों में स्वयं ही लक्ष्मी रूप में, पापियों के घर में दुर्बुद्धि रूप में, शुद्ध अंतकरण वाले पुरुषों के हृदय में बुद्धिरूप से, सतपुरुषों में श्रद्धा रूप से तथा कुलीन मनुष्यों में लज्जा रूप से निवास करती हैं।
देवि प्रपन्नाॢतहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य। प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य।।
Navratri 2020: शरणागत की पीड़ा दूर करने वाली देवी आप हम पर प्रसन्न हों। आप सम्पूर्ण जगत की माता हैं। आप प्रसन्न हों। हे विश्वेश्वरि! आप विश्व की रक्षा करो क्योंकि आप ही चराचर जगत की अधीश्वरी हो। इस प्रकार जगत के अभ्युदय एवं कल्याण हेतु जगत जननी मां जगदम्बे से प्रार्थना की जानी चाहिए। समस्त स्त्री जगत को शक्तिरूपा माना गया है। इसलिए नवरात्र हमें स्त्री जाति का सम्मान करने की प्रेरणा भी देते हैं। दुर्गा सप्तशती के पाठ से जो पुण्य प्राप्त होता है उसकी कभी समाप्ति नहीं होती। जगदीश्वर भगवान विष्णु की योगनिद्रारूपा जो भगवती महामाया हैं उन्हीं से यह जगत मोहित हो रहा है। वे भगवती महामाया देवी ज्ञानियों के भी चित्त को बलपूर्वक खींचकर मोह में डाल देती हैं। वे ही इस सम्पूर्ण चराचर जगत की सृष्टि करती हैं।