Edited By ,Updated: 13 Oct, 2016 08:13 AM
15 अक्टूबर, शनिवार को आश्विन मास की पूर्णिमा है, जिसे शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस रात के अत्यधिक महत्वपूर्ण होने का एक कारण यह है की
15 अक्टूबर, शनिवार को आश्विन मास की पूर्णिमा है, जिसे शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस रात के अत्यधिक महत्वपूर्ण होने का एक कारण यह है की राधारानी रूप में महालक्ष्मी और श्री कृष्णचन्द्र रूप में श्री हरि विष्णु ने इसी रात को महारास किया था इसलिए यह रात युगल सरकार की परमप्रिय रात है।
माना जाता है की वर्ष में कुछ खास ऐसी रातें आती हैं जब महालक्ष्मी अपने भक्तों पर धन की वर्षा करती हैं। उन्हीं खास रातों में है शरद पूर्णिमा की रात। इस रात मां लक्ष्मी अपने भक्तों की धन से जुड़ी हर तरह की समस्याएं दूर करती हैं। इतना ही नहीं, देवी साधकों को यश और कीर्ति भी देती हैं।
यह रात अन्य रातों से खास इसलिए भी है क्योंकि देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आती हैं और देखती हैं कि कौन जाग रहा है और कौन सो रहा है। जो लोग रात को जाग कर श्री भगवान का नाम जाप, भजन, सिमरण कर रहे होते हैं देवी लक्ष्मी उनका कल्याण कर उनके घर पर अपना निवास बनाती हैं तथा जो लोग नींद में खोए होते हैं वहां देवी लक्ष्मी नहीं ठहरती। शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी को अपनी भक्ति और प्रेम के बल पर खुश करके उन्हें अपने घर रूकने के लिए प्रार्थना करें।
* इस रात को कोजागरा की रात भी कहा जाता है अर्थात कौन जाग रहा है की रात। कहते हैं की जो मनुष्य शरद पूर्णिमा की रात में जागरण करके महालक्ष्मी और श्री हरि विष्णु का पूजन, अराधना, भजन और कीर्तन करते हैं देवी लक्ष्मी उन्हें धन के साथ ही वैभव भी प्रदान करती हैं।
* रात के समय मंदिर, चौराहे, तुलसी के नीचे, घर के भीतर और बाहर शुद्ध गाय के घी का दिपक जलाएं।
* मंदिर में आसन बिछा कर बैठें श्रीसूक्त और लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करने से आपके धन-धान्य और मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।