उच्च न्यायालय ने पुरानी दर पर स्टाम्प शुल्क के निचली अदालत के आदेश को निरस्त किया

Edited By PTI News Agency,Updated: 05 Jul, 2022 10:24 AM

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बेंगलुरु, चार जुलाई (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के उस आदेश को दरकिनार कर दिया, जिसमें स्टांप शुल्क को 0.75 प्रतिशत की नयी दर के बजाय छह प्रतिशत की पुरानी दर से अनिवार्य किया गया था।

बेंगलुरु, चार जुलाई (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के उस आदेश को दरकिनार कर दिया, जिसमें स्टांप शुल्क को 0.75 प्रतिशत की नयी दर के बजाय छह प्रतिशत की पुरानी दर से अनिवार्य किया गया था।

न्यायमूर्ति विश्वजीत शेट्टी का यह फैसला हाल ही में उच्च न्यायालय की कलबुर्गी पीठ में श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर आया, जिसमें अतिदेय (ओवरड्यू) ऋणों की वसूली के लिए तीन व्यक्तियों के खिलाफ मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू की गई थी।

अप्रैल 2016 में कंपनी के पक्ष में 18 प्रतिशत ब्याज के साथ 8,10,251 रुपये की वसूली के लिए एक आदेश पारित किया गया था, जिसके बाद कंपनी ने बकाया वसूलने के लिए एक निष्पादन याचिका दायर की थी।

कंपनी को निचली अदालत द्वारा वसूली योग्य राशि पर छह प्रतिशत की दर से स्टांप शुल्क दाखिल करने का आदेश दिया गया था। भुगतान नहीं होने पर प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कलबुर्गी की अदालत ने निष्पादन अर्जी खारिज कर दी थी।
कंपनी ने 31 अगस्त, 2019 के इस आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और कर्नाटक स्टाम्प अधिनियम के अनुच्छेद 11(बी) के तहत प्रदान किए गए स्टांप शुल्क की गणना के लिए निचली अदालत को निर्देश देने की मांग की, जो एक मार्च 2014 को लागू हुआ था।
इस संशोधन के अनुसार, ‘‘मध्यस्थ आदेश (आर्बिट्रल अवार्ड) पर भुगतान योग्य स्टाम्प शुल्क संबंधित आदेश की राशि का 0.75 प्रतिशत है।’’
अप्रैल, 2016 में मध्यस्थता प्रक्रिया के तहत कंपनी के पक्ष में फैसला हुआ था।

उच्च न्यायालय ने निचली अदालत की ओर से जारी आदेश को निरस्त करते हुए संशोधित दर से स्टाम्प शुल्क संग्रहित करने का निर्देश दिया।



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