नए विचारों के साथ करें नव वर्ष की शुरुआत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Jan, 2018 05:48 PM

begin new year with new thoughts

यह  सच है कि नए साल की शुरूआत के साथ हम समाज और रिश्ते-नातों से जुड़े कई तरह के संकल्प लेते हैं। पर दिन बीतने के साथ उनसे भटकने लगते हैं। नया साल हमारे लिए नई खुशियों की सौगात लेकर आता है और हम इसे एक उत्सव की तरह मनाते हैं।

यह  सच है कि नए साल की शुरूआत के साथ हम समाज और रिश्ते-नातों से जुड़े कई तरह के संकल्प लेते हैं। पर दिन बीतने के साथ उनसे भटकने लगते हैं। नया साल हमारे लिए नई खुशियों की सौगात लेकर आता है और हम इसे एक उत्सव की तरह मनाते हैं। हमारा मानना है कि अगर हम नए काम की शुरूआत पूरे जोश के साथ जोर-शोर से करेंगे तो उसके परिणाम भी लाभपूर्ण होंगे। इस बार नए साल पर उठाए कुछ नए कदम ताकि वे इस तरह से यादगार बन जाएं कि जब-जब पन्ने पलटे जाएं तो बीते दिनों की सुगंध ताजा हो जाए।

 

पर्यावरण की सुरक्षा का वचन: हम कुदरत के ऋणी हैं कि उसने हमारी जरूरतों के अनुसार हमें बहुत कुछ दिया है परंतु आज उसका धन्यवाद करने की बजाय उसके सर्वनाश को तत्पर हैं। कुदरती संसाधनों के गलत प्रयोग से हमारी आने वाली पीढिय़ों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। हम चाहें तो हर रोज के कामों के साथ छोटी-छोटी सावधानियां रख कर पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं। इंसान ने जंगलों को काटकर वहां इमारतें बना कर उनके अस्तित्व को ही समाप्त कर दिया है। ऐसे में सबसे अधिक आवश्यकता अपने चारों तरफ हरा-भरा वातावरण रखने की है जिसके लिए पेड़ लगाना जरूरी है ताकि हवा और पानी शुद्ध हो सकें। एक खुशहाल वातावरण के लिए प्रकृति को संतुलित करना जरूरी है, इसके लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, पानी के गलत इस्तेमाल व वातावरण में प्रदूषण को ठीक करना होगा।

 

पुरानी बातों से सीख लेकर नए सपने बुनें: हम नए साल में प्रवेश करने वाले हैं तो इस बात पर विचार अवश्य करते हैं कि पुरानी बातों से सीख लेकर अपनी भूलों को सुधारें। इन सभी बातों पर आत्ममंथन जरूरी है ताकि नई प्रेरणा और नए विचारों के साथ उन्नति की ओर बढ़ा जा सके इसलिए नए समय का लाभ उठाते हुए सफलता की नई कहानी लिखने को तैयार हो जाएं।

 

रूठों को मनाएं: यह दिन एक उचित समय होता है। पुराने गिले-शिकवों को मिटाने और अपने रूठों को मनाने का। नए साल पर खुद ही पहल करें और माफी मांगने में संकोच न करें और न ही अभिमान को बीच में आने दें। इस ओर उठाया आपका एक कदम आपको हर तरफ से सकारात्मकता से भर देगा और आप स्वयं में एक सुकून महसूस करेंगे।

 

स्वयं में परिवर्तन लाएं: हमें दूसरों को बदलना आसान लगता है जबकि परिवर्तन यदि संभव है तो स्वयं में है। यदि कोई उम्मीद की जा सकती है तो स्वयं से ही की जा सकती है। भरोसा करना है तो स्वयं पर करें। तभी कुछ हो सकेगा वरना इंसान भटकता ही रहेगा व उम्र भर शिकायतें करता रहेगा। वैसे तो इंसान हर पल बदलता है पर जो स्वयं को स्वयं के हित के लिए बदलता है, उसे परिवर्तन नहीं, आत्मरूपांतरण कहते हैं। रूपांतरित आदमी के लिए हर पल, हर अवस्था सब कुछ नया होता है। परिवर्तन इंसान के लिए एक परीक्षा है।

 

जीवन को सकारात्मक रूप में स्वीकारें: कहा जाता है कि पॉजीटिव सोच पॉजीटिव रिजल्ट देती है। हम सोचते रहते हैं कि कितना वक्त बीत गया और हम कुछ भी हासिल नहीं कर पाए, यह जानते हुए भी बीते वक्त के साथ चिपके बैठे रहते हैं। सच तो यह है कि हमें किसी भी चीज की उपयोगिता का महत्व उससे दूर होकर ही महसूस होता है। अत: जीवन को सकारात्मक नजरिए से देखने का प्रयत्न करें। देखें कि जिंदगी की कौन-सी घटना आपको क्या सिखा रही है व हमें कल के लिए कितना मजबूत और सावधान कर रही है। 

समय सदा एक-सा नहीं रहता, इस सत्य को स्वीकार करना आवश्यक है। वर्ष कब शुरू होता है और कब खत्म, पता ही नहीं चलता। वर्ष का अंतिम महीना किसी के लिए विदाई का पल है तो किसी के लिए खुशियों का संकेत। आप इसे कैसे मनाते हैं, यह आपकी सोच व दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। याद रखें कि सकारात्मक सोच हमेशा सकारात्मक परिणाम ही लाती है।     

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