Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 04:51 PM
दुनिया के हजारों लोग जर्मनी के शहर बॉन में इस उम्मीद में जमा हुए हैं कि बदलते मौसम की मार से इस धरती को बचाने के लिए कोई ठोस खाका तैयार होगा। चुनौती इसलिए भी बड़ी है कि दुनिया में सबसे ज्यादा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाला अमरीका पेरिस समझौते...
बर्लिनः दुनिया के हजारों लोग जर्मनी के शहर बॉन में इस उम्मीद में जमा हुए हैं कि बदलते मौसम की मार से इस धरती को बचाने के लिए कोई ठोस खाका तैयार होगा। चुनौती इसलिए भी बड़ी है कि दुनिया में सबसे ज्यादा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाला अमरीका पेरिस समझौते से बाहर हो गया है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जलवायु से ज्यादा अमरीकी लोगों की नौकरियों की चिंता है।
लेकिन बॉन में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन के मेजबान फिजी जैसे देशों के सामने अपना अस्तित्व बचाए रखने का संकट है। हर दिन समंदर का बढ़ता जल स्तर उन्हें जलसमाधि की तरफ धकेल रहा है। बॉन में फिजी के प्रधानमंत्री फ्रैंक बैनीमारामा ने कॉप 23 सम्मेलन का उद्घाटन किया और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रोकने के लिए हर हाल में कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “पृथ्वी पर सबसे ज्यादा खतरे में घिरे क्षेत्रों से एक की तरफ से आपको शुभकामनाएं।” उन्होंने आग्रह किया कि पेरिस में पर्यावरण के लिए जिन उपायों पर सहमति बनी, उन्हें आगे बढ़ाया जाए। पेरिस समझौते के तहत दुनिया के बढ़ते तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखा जाना है। संयुक्त राष्ट्र के मौसम विभाग का कहना है कि 2015 और 2016 के बाद अब 2017 अब तक का सबसे गर्म साल होगा।