सीआईसी का फरमान, कहा- गांधीजी की हत्या से संबंधित रिकॉर्ड सहेजे जाएं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Dec, 2017 11:38 PM

ensure easy access to records related to gandhiji s killing cic

सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा कि राष्ट्रीय अभिलेखागार :एनएआई: को महात्मा गांधी की हत्या के रिकॉर्ड तक आसानी से पहुंच के साथ-साथ उनके जीवन और राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में सूचना को लेकर एक तंत्र विकसित करना चाहिए।  उन्होंने कहा, ‘‘एनएआई के...

नई दिल्लीः केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने राष्ट्रीय अभिलेखागार (एनएआई) को निर्देश दिया है कि वह अपनी वेबसाइट के होमपेज पर विशेष आइकन या विंडो बनाए ताकि लोग महात्मा गांधी की हत्या से संबंधित रिकॉर्ड आसानी से देख सकें। 

सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा कि राष्ट्रीय अभिलेखागार :एनएआई: को महात्मा गांधी की हत्या के रिकॉर्ड तक आसानी से पहुंच के साथ-साथ उनके जीवन और राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में सूचना को लेकर एक तंत्र विकसित करना चाहिए।  उन्होंने कहा, ‘‘एनएआई के रिकॉर्ड में कोई व्यक्ति नेताजी सुभाष चंद्र बोस के दस्तावेज का शीर्षक पा सकता है। नेताजी पर दस्तावेजों के लिये अलग से एक पेज है, जिसे एक क्लिक करके देखा जा सकता है। 

महात्मा गांधी से संबंधित दस्तावेज इतनी आसानी से उपलब्ध नहीं हैं।’’ आयोग ने राष्ट्रीय अभिलेखागार को जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, गुलजारी लाल नंदा और इंदिरा गांधी समेत अन्य जाने-माने नेताओं से संबंधित रिकॉर्ड भी आसानी से उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। 

उन्होंने रिकॉर्ड की विभिन्न श्रेणियों की सूची, कैटलॉग आदि को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के तहत स्वेच्छा से खुलासे के तहत प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया। आचार्युलू ने कहा, ‘‘आयोग सबसे पहले प्राथमिकता के आधार पर यथाशीघ्र राष्ट्रपिता से संबंधित दस्तावेजों और तर्कसंगत अवधि के भीतर अन्य लोगों से संबंधित दस्तावेजों तक सहज पहुंच के लिये फिजिकल और ऑनलाइन तंत्र स्थापित करने की सिफारिश करता है।’’  

आचार्युलू ने यह निर्देश नितिन सागर के आरटीआई आवेदन पर दिया। उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी, अदालती कार्यवाही, फैसले आदि से संबंधित दस्तावेजों को हासिल करने के लिये प्रक्रिया को जानने के लिये एनएआई का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने कहा था कि वह न तो छात्र हैं और न ही शोधार्थी हैं। एनएआई ने कहा कि शोधार्थियों, गैर शोधार्थियों या साधारण लोगों को आमंत्रित किया जाता है और प्रति पेज दो रुपए के हिसाब से जमा करने पर उन्हें दस्तावेजों की छाया प्रतियां प्रदान की जाती हैं।  

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