देहमंडी की पहली शिक्षिताः नसीमा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jan, 2018 05:06 PM

first teacher of dehomandi  naseema

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के चतुर्भुज स्थान नामक पर स्थित वेश्यालय का इतिहास मुगकालीन है। यह जगह तकरीबन नेपाल के पास है। इसका नाम वहां स्थित प्राचीन चतुर्भुज मंदिर के नाम पर है। यहां तकरीबन दस हजार की अबादी है और वेश्यावृति परिवारिक पेशा है यानी मां...

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के चतुर्भुज स्थान नामक पर स्थित वेश्यालय का इतिहास मुगकालीन है। यह जगह तकरीबन नेपाल के पास है। इसका नाम वहां स्थित प्राचीन चतुर्भुज मंदिर के नाम पर है। यहां तकरीबन दस हजार की अबादी है और वेश्यावृति परिवारिक पेशा है यानी मां के बाद उसकी बेटी की नियति भी यह पेशा हीं है। हालांकि बदलाव की किरण यहां नजर आ रही है। चतुर्भुज स्थान की सेक्स वर्कर द्वारा 32 पेज की हस्तलिखित मासिक मैगजीन जुगनू का प्रकाशन किया जाता है। उन्होंने एक गैर सरकारी संगठन परचम की स्थापना भी की है। नसीमा नाम की मंडी की एक बेटी ने इस पत्रिका के प्रकाशन के लिए मेहनत की अब वह मेहनत रंग ला रही है। इस पत्रिका का प्रसार अमेरिका सहित बहुत सारे देशों में हो रहा है। नसीमा चतुर्भुज स्थान में पैदा हुई थी। नसीमा जब आठ साल की थी, उसकी मां ने नसीमाके पिता को छोड़कर दूसरी शादी कर ली। उसने नसीमा जब आठ साल की थी, उसकी मां ने नसीमाके पिता को छोड़कर दूसरी शादी कर ली। उसने नसीमा को भी छोड़ दिया। नसीमा के पिता भी उन सबको छोड़कर गांव चले गए। नसीमा की परवरिश चतुर्भुज स्थान की एक बुढ़ी महिला जिसे वह दादी कहती है, उसने ती। उस महिला ने वेश्यावृत्ति से कमाकर नसीमा को पढ़ाया-लिखाया। चतुर्भुज स्थान के 300 वर्षो के इतिहास में नसीमा पहली लड़की थी जिसने शिक्षा प्राप्त की। नसीमा ने चतुर्भुज स्थान में शरीर बेचने के परंपरागत धंधे को अपनाने की बजाए कुछ अलग करने का निश्चय किया। उसने स्थानीय बैंकों से कर्ज लेकर मोमबत्ती, माचिस, बिंदी, अगरबत्ती जैसे छोटे-छोटे व्यवसाय के माध्यम से वहां की वेश्याओं को शरीर को बेचकर पैसा कमाने की जगह पर आय के अन्य विकल्प उपलब्ध कराना शुरु किया। उसने वहां की सेक्स वर्करों को इस बात के लिए राजी किया की वे अपने बच्चों को स्कूल भेजें। आज तकरीबन हर बच्चा स्कूल जाता है। 

 

पहले शरीर व्यवसाय में लिए रही पचासों सेक्स वर्कर नसीमा के साथ कार्य कर रही है, वह उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाती है, पत्रिका का संचालन करती है। नसीमा और ये सभी मिल कर दूसरी महिलाओं को इस व्यवसाय में आने से रोकती हैं। विशेषकर पढ़ोसी देश मुल्क नेपाल और बांग्लादेश से विगत वर्ष तकरीबन 20 नई लड़कियों को उनके घर वापस भेजने में ये कामयाब हुई। लेकिन इनके कामों ने दुश्मन भी पैदाक दिए। वेश्यालय की प्रमुख रानी बेगम को आर्थिक क्षति होने लगी, परिणाम था उसके गुंडों और दलालों द्वारा नसीमा तथा उसके सहयोगियों को खुलेआम अपमानित किया गया और मारपीट की गई।

 

एक फिल्मकार गौतम सिंह ने नसीमा, उसके संघर्ष और मंडी की जिंदगी परफिल्म बनाने की सोची। क्या-क्या समस्या पैदा हुई और कैसा रहा उनका अनुभव यह भी रोमांचक है। रानीबेगम तथा उसके गुंडों से कोई समस्या न पैदा हो इसलिए फिल्म की टीम ने रानी से जो एक विशाल मकान मेरहती थी, मुलाकात की। हालांकि रानीबेगम ने नसीमा के कार्यों पर कटाक्ष भी किया लेकिन यह वादा किया कि फिल्म बनाने में वह रुकावट नहीं पैदा करेगी।

 

बिहार के नारी सुधार केन्दों की स्थिती भी चिंतनीय है। नारी सुधार घर के प्रभारी एक पुरुष भी हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां किस तरह का सुधार होता होगा। आम आदमी की संवेदनहीनता की दास्तां है सीतामढी जिले के बोहा टोला नाम की वह वेश्या मंडी जिसे वहां के गांववालों ने 2008 में जलाकर खाक कर दिया तथा एक वर्ष के बच्चे को भी उस जलती आग में फेक दिया। एक साठ वर्षिय बुढ़ी-बिमार महिला के साथ दस गांव वालों ने बलात्कार भी किया। 

 

परचम की सदस्या जब वहां गई, तथा उनके समर्थन में धरने पर बैठी तो उनको जेल जाना पड़ा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शिकायत करने पर, उन्होंने उल्टा सेक्स वर्करों के व्यवहार को इस आग लगाने वाली घटना का दोषी कहा लेकिन जब नसीमा तथा उसकी सहयोगियों ने पूछा कि क्या गलत व्यवहार करने वालों को आग में जलाना सही हैं। मुख्यमंत्री ने जवाब नहीं दिया। बाद में सरकार ने एक टीम बनाकर सेक्स वर्करों की समस्या का हल ढूंढने की जिम्मेवारी सौंपी। 32 वर्षिय नसीमा ने परचम के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए अपनी जैसी अन्य लड़कियों को भी प्रेरित किया है और आज परचम में सेकेंड लाइन भी तैयार है जो नसीमाके न रहने की स्थिती में भी उसके कार्यों को सुचारु रुप से संचालित करेगी।

 

अनिल अनूप

9779592058

                                                         


 

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