श्रीकृष्ण का मोर पंख, एेसे करता है नव ग्रह व वास्तु दोष को दूर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jan, 2018 08:06 AM

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हिंदू धर्म में मोर पंख का विशेष महत्तव है। श्रीकृष्ण को भी मोर पंख अधिक प्रिय है। इनके मुकुट पर मोर पंख सदैव सजा रहता है इसलिए ही मोर पंख को बहुत ही पवित्र माना जाता है और कलियुग में भी इसको बहुत महत्वपूर्ण माना गया है

हिंदू धर्म में मोर पंख का विशेष महत्तव है। श्रीकृष्ण को भी मोर पंख अधिक प्रिय है। इनके मुकुट पर मोर पंख सदैव सजा रहता है इसलिए ही मोर पंख को बहुत ही पवित्र माना जाता है और कलियुग में भी इसको बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार मोर के पंखों में सभी देवी-देवताओं और सभी नौ ग्रहों का वास होता है। ऐसा क्यो है इसके बारे में धर्म ग्रंथों में कथा का वर्णन किया गया है। जो इस प्रकार है-


प्रचलित कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने मां पार्वती को पक्षी शास्त्र में वर्णित मोर के महत्व के बारे में बताया है। प्राचीन काल में संध्या नाम का एक असुर हुआ करता था। वह बहुत शक्तिशाली और तपस्वी असुर था। गुरु शुकाचार्य के कारण संध्या देवताओं का शत्रु बन गया था। संध्या असुर ने कठोर तप कर शिवजी और ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया था। ब्रह्माजी और शिवजी प्रसन्न होने से उसको कई तरह की शक्तियां वरदान के रूप में प्राप्त हुई। अब विभिन्न तरह की शक्तियां पा संध्या बहुत शक्तिशाली हो गया। शक्तिशाली संध्या भगवान विष्णु के भक्तों को सताने लगा। इसने स्वर्ग पर भी आधिपत्य कर लिया था, देवताओं को बंदी बना लिया। जब किसी भी तरह देवता संध्या को जीत नहीं पाए, तब उन्होंने एक योजना बनाई। योजना के अनुसार सभी देवता और सभी नौ ग्रह एक मोर के पंखों में विराजित हो गए। अब वह मोर बहुत शक्तिशाली हो गया था। मोर ने विशाल रूप धारण किया और संध्या असुर का वध कर दिया। तभी से मोर को भी पूजनीय और पवित्र माना जाने लगा।

इसलिए ज्योतिष शास्त्र में मोर के पंखों का विशेष महत्व बताया गया है। यदि ज्योतिष शास्त्र में बताई गई विधि से मोर पंख को स्थापित किया जाए तो घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और कुंडली के सभी नौ ग्रहों के दोष भी शांत हो जाते हैं।


घर का वास्तु ठीक करने का उपाय
घर का द्वार यदि वास्तु के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित करें। इससे धर के सारे दोष समाप्त होते है। 


शनि की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
अगर किसी पर शनि देव का कुप्रभाव हो तो वह शनिवार को तीन मोर पंख लेकर पंख के नीचे काले रंग का धागा बांधें और एक थाली में पंखों के साथ तीन सुपारियां रखें। 


गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें-

ऊं शनैश्वराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

इस मंत्र के उच्चारण के बाद तीन मिट्टी के दीपक तेल सहित शनि देवता को अर्पित करें। फिर गुलाब जामुन या किसी अन्य मिठ्ठी वस्तु से शनि देव को भोग लगाएं।


चंद्र की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
सोमवार को आठ मोर पंख लेकर आएं, पंख के नीचे सफेद रंग का धागा बांधें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ आठ सुपारियां भी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।


ऊं सोमाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
इसके बाद पान के पांच पत्ते चंद्रमा को अर्पित करें और बर्फी का प्रसाद चढ़ाएं।


मंगल की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
मंगलवार को सात मोर पंख लेकर, पंख के नीचे लाल रंग का धागा बांधें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ सात सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें। 


ऊं भू पुत्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
पीपल के दो पत्तों पर चावल रखकर मंगल ग्रह को अर्पित करें। बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं।


बुध की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
बुधवार को छ: मोर पंख लेकर, पंख के नीचे हरे रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ छ: सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।


ऊं बुधाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
बुद्ध ग्रह को जामुन अर्पित कर केले के पत्ते पर रखकर मीठी रोटी का प्रसाद चढ़ाएं।


गुरु की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
गुरुवार को पांच मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे पीले रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ पांच सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।


ऊं ब्रहस्पते नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
ग्यारह केले बृहस्पति देवता को अर्पित करें।
बेसन का प्रसाद बनाकर गुरु ग्रह को चढ़ाएं।


शुक्र की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
शुक्रवार को चार मोर पंख लेकर, पंख के नीचे गुलाबी रंग का धागा बांधें। एक थाली में पंखों के साथ चार सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

ऊं शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

तीन मीठे पान शुक्र देवता को अर्पित कर गुड़-चने का प्रसाद बना कर चढ़ाएं।


सूर्य की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
रविवार के दिन नौ मोर पंख लेकर आएं और पंख के नीचे मैरून रंग का धागा बांधें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ नौ सुपारियां रखें, गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

मंत्र- ऊं सूर्याय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

इसके बाद दो नारियल सूर्य भगवान को अर्पित करें।

 

राहु की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
शनिवार को सूर्य उदय से पूर्व दो मोर पंख लेकर पंख के नीचे भूरे रंग का धागा बांधें। एक थाली में पंखों के साथ दो सुपारियां रखकर इस पर गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

ऊं राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
चौमुखा दीपक जलाकर राहु को अर्पित करें।
कोई भी मीठा प्रसाद बनाकर चढ़ाएं।

 

केतु की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
शनिवार को सूर्य अस्त होने के बाद एक मोर पंख लें और पंख के नीचे स्लेटी रंग का धागा बांधें। एक थाली में पंख के साथ एक सुपारी रखकर गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

ऊं केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
पानी के दो कलश भरकर राहु को अर्पित करके फलों का प्रसाद चढ़ाएं।

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