सुप्रीम कोर्ट संकट: न्यायाधीशों ने कहा- बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Jan, 2018 01:04 AM

supreme court crisis  judges said   no need for external intervention

प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ एक तरह से बगावत करने वाले उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने शनिवार को कहा कि मुद्दे के हल के लिए किसी बाहरी हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए)...

नेशनल डेस्क: प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ एक तरह से बगावत करने वाले उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने शनिवार को कहा कि मुद्दे के हल के लिए किसी बाहरी हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने कहा कि मामले पर पूर्ण अदालत को विचार करना चाहिए।

चार न्यायाधीशों में शामिल न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने संकट के हल के लिए आगे की दिशा के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘कोई संकट नहीं है।’’न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि मामला राष्ट्रपति के संज्ञान में नहीं लाया गया है क्योंकि उच्चतम न्यायालय या उसके न्यायाधीशों को लेकर उनकी कोई संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश की ओर से कोई संवैधानिक चूक नहीं हुई है, बल्कि उनकी जिम्मेदारी पूरी करते समय सहमति, चलन और प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति जोसेफ ने कोच्चि के पास एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम मामला उनके संज्ञान में लेकर आए।’’  एससीबीए ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के साथ चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के मतभेद पर ‘गंभीर ङ्क्षचता’ जताई। एससीबीए की कार्यकारिणी की आपात बैठक में सुझाव दिया गया कि लंबित जनहित याचिकाओं समेत सभी जनहित याचिकाओं पर या तो प्रधान न्यायाधीश को विचार करना चाहिए या उन वरिष्ठ न्यायाधीशों को सौंप दिया जाना चाहिए जो उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम का हिस्सा हैं।

इस बीच, वकीलों के सर्वोच्च निकाय बार काउन्सिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने शीर्ष अदालत के मौजूदा संकट पर चर्चा करने के लिए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों से रविवार को मुलाकात करने के लिए सात सदस्यीय दल का गठन किया। उसने एक प्रस्ताव पारित करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के संवाददाता सम्मेलन करने से पैदा हुई स्थिति का किसी राजनैतिक दल या नेताओं को ‘‘अनुचित फायदा’’ नहीं उठाना चाहिए।

एक अभूतपूर्व कदम के तहत न्यायमूर्ति चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति  कुरियन जोसेफ ने शुक्रवार को एक तरह से प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ बगावत कर दी थी। उन्होंने मामलों को आवंटित करने समेत कई समस्याएं गिनाईं थीं।

न्यायमूर्ति जोसेफ ने शनिवार को कोच्चि के पास कक्कानाड में एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘एक मुद्दा उठाया गया। जो इसे लेकर चिंतित थे, उन्होंने उसे सुना। इसलिए (मेरा) मानना यह है कि मुद्दे का हल हो गया है।’’

उन्होंने मुद्दे के हल के लिए बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत से संबंधित सवाल पूछे जाने पर कहा, ‘‘मामले के हल के लिए बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है क्योंकि यह मामला हमारे संस्थान के भीतर उठा है। इसे दुरुस्त करने के लिए संस्थान को ही जरूरी कदम उठाने होंगे।’’  इससे पहले न्यायमूर्ति जोसेफ ने उन बातों को खारिज कर दिया कि न्यायाधीशों ने अनुशासन तोड़ा है और उम्मीद जताई कि उनके इस कदम से उच्चतम न्यायालय प्रशासन में और पारर्दिशता आएगी।

उन्होंने उन बातों को खारिज कर दिया कि उन्होंने अनुशासन का उल्लंघन किया और उम्मीद जताई कि उनकी कार्रवाई से उच्चतम न्यायालय के प्रशासन में अधिक पारर्दिशता आएगी। न्यायमूर्ति  जोसेफ ने कोच्चि के पास कलाडी में अपने पैतृक घर पर स्थानीय टीवी चैनलों से मलयाली में कहा, ‘‘न्याय एवं न्यायपालिका के लिए खड़े हुए। हमने शुक्रवार को (दिल्ली में) यही कहा था। इससे अलग कुछ नहीं था।’’

न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, ‘‘एक मामला ध्यान में आया है। चूंकि यह ध्यान में आया है, इसे निश्चित तौर पर सुलझा लिया जाएगा।’’  चारों न्यायाधीशों के संवाददाता सम्मेलन करने के एक दिन बाद शनिवार को टीवी चैनलों ने प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा प्रधान न्यायाधीश के घर पहुंचे लेकिन वहां दरवाजे नहीं खुले और थोड़ी देर इंतजार करने के बाद मिश्रा वापस लौट गए।

टीवी चैनलों के खबर दिखाने के बाद कांग्रेस ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के तौर पर नृपेंद्र मिश्रा पांच, कृष्ण मेनन मार्ग स्थित प्रधान न्यायाधीश के घर गए। प्रधानमंत्री प्रधान न्यायाधीश के पास अपना विशेष संदेशवाहक भेजने का कारण बताएं।’’  

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