Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jan, 2018 05:03 PM
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने आज पश्चिमी देशों को समझाया कि वे उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सहयोग के बिना बहुत आगे नहीं जा सकते। राजन ने आगाह किया कि यदि चीजों को जल्द दुरुस्त नहीं किया गया, तो कोई भी इस ‘बंटी’ दुनिया की समस्याएं हल...
दावोसः भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने आज पश्चिमी देशों को समझाया कि वे उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सहयोग के बिना बहुत आगे नहीं जा सकते। राजन ने आगाह किया कि यदि चीजों को जल्द दुरुस्त नहीं किया गया, तो कोई भी इस ‘बंटी’ दुनिया की समस्याएं हल नहीं कर सकता। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना शिखर बैठक को संबोधित करते हुए राजन ने यहां किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि पश्चिमी देशों को समझना चाहिए कि उनकी आबादी की आयु बढ़ रही है और उनके उत्पादों की मुख्य मांग उभरती दुनिया से ही आएगी।
उन्होंने कहा कि इस बात का जोखिम है कि जब पश्चिमी देश सहयोग के लिए उभरती दुनिया के पास जाएं, तो उनसे इस तरह के कई सवाल पूछे जा सकते हैं कि पूर्व में उन्होंने लाभों को साझा क्यों नहीं किया। उन्होंने आगाह किया कि पश्चिमी देशों को अच्छे के लिए जल्द बदलना चाहिए, नहीं तो अंदेशा है कि हम इस ‘विखंडित’ दुनिया की किसी समस्या को हल नहीं कर पाएंगे। राजन आर्थिक चर्चाओं की ताकत और नीति निर्माताओं के समक्ष 21 वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के विकल्प, विषय पर एक सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने उदाहरण दिया कि सिंगापुर जैसे देशों ने आय असमानता तथा समाज में विभाजन से सामने आई समस्याओं से निपटने के लिए ऐसी आवासीय परियोजनाएं बनाई हैं जिनमें मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग के परिवार एक साथ रह सकते हैं।
राजन ने उन अर्थशास्त्रियों को भी आड़े हाथ लिया जो आर्थिक विवरण के विचार पर नकारात्मक रुख दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि अब लोग चीजों को दुरुस्त करने के लिए उन पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने चेताया कि अर्थशास्त्रियों के समक्ष आज अधिक दुश्कर कार्य है और उन्हें काफी सवालों का जवाब देना होगा। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि आज बिना चालक या ड्राइवर के कारों की बात हो रही है, लेकिन हमें इसके रोजगार पर पड़ने वाले असर का भी आकलन करना होगा।