ज्योतिष में पितृदोष का बहुत महत्व माना जाता है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में पितृदोष सबसे बड़ा दोष माना गया है क्योंकि इससे पीड़ित जातक का जीवन अत्यंत कष्टमय हो जाता है। जो व्यक्ति जीवनकाल में अपने माता-पिता को दुखी करता है मरणोपरांत उनका श्राद्ध करता है, ऐसे पितरों को मुक्ति नहीं मिलती। श्राद्ध का कार्य श्रद्धा से करने पर पितर प्रसन्न होते हैं, लोक दिखावे के लिए या स्वयं के किसी स्वार्थ की पूर्ति के लिए श्राद्ध करना, पापों का भागी तो बनाता ही है साथ ही पितर भी रूष्ट हो जाते हैं।
पितृपक्ष की एकादशी एकमात्र ऐसी तिथि है, जिस दिन देव और पितृ दोनों का आशीर्वाद एकसाथ प्राप्त किया जा सकता है। आज करें महाप्रयोग जिससे जीवन की जानी-अनजानी परेशानी होगी दूर और पितरों की कृपा मिलेगी भरपूर।
* पीपल के वृक्ष पर दोपहर के समय जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें।
* शाम के समय दीप जलाएं और नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय, मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्रोत व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें।
* पितरों के निमित्त गीता पढ़ें, विशेष कर ग्यारहवें अध्याय का पाठ।
* ब्राह्मणों और निर्धनों को भोजन करवाएं।
* एकादशी के दिन अन्न का दान नहीं किया जाता।
* रात को जागरण करें, श्री हरि नाम संकीर्तन करें।
* तुलसी पर और श्रीलक्ष्मी नारायण के सम्मुख दीप अर्पित करें।
त्यौहार: 25 सितम्बर से 1 अक्तूबर 2016 तक
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